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संसार में निर्वाह करनेवालों को ऐसा व्यवहार क्यों करना है कि मानों उन्हें संसार से कोई सरोकार नहीं?

उन्हें ऐसा व्यवहार करना है क्योंकि इस संसार का तौर तरीका समाप्त हो जाता है।