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दृष्टांत एक लघु कहानी है जो सच को समझने में आसान बनाती है और जिसे भूलना कठिन होता है।

वर्णन

दृष्टांत एक सच को सिखाने के लिए बतार्इ जाने वाली छोटी कहानी है। दृष्टांत की बातें हो तो सकती हैं, परंतु हुर्इ नही होती हैं। उन्हे केवल सच को सिखाने के लिए बताया जाता है। दृष्टांतों में बहुत ही कम लोगों का नाम लिखा जाता है। (इससे आपको मदद मिल सकती है कि कौनसा दृष्टांत है और कौनसी सच्ची घटना है) दृष्टांत में उपमा एवं रूपक जैसे अलंकार के शब्द अक्सर होते हैं।

तब उसने उन्हे एक दृष्टांत बताया। ‘‘क्या अन्धा, अन्धे को मार्ग बता सकता है? क्या दोनो गड़हे में नहीं गिरेंगे? (लूका 6:39 ULB)

यह दृष्टांत बताता है कि यदि एक मनुष्य में आत्मिक समझ नही है तो वह आत्मिक बातों के बारे में किसी और की मदद भी नही कर सकता ।

बाइबल में से उदाहरण

और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ार्इ करें। (मत्ती 5:15-16)

यह दृष्टांत बताता है कि हमें परमेश्वर के लिए जिस प्रकार जीते हैं, उन्हे हमें दूसरों से नही छिपाना है।

उस ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया । कि स्वर्ग का राज्य रार्इ के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया। वह सब बीजों से छोटा तो है। पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं। (मत्ती 13:31-32 ULB)

यह दृष्टांत बताता है कि परमेश्वर के राज्य की चीजें पहले तो छोटी लग सकती हैं, परंतु यह बढ़कर संसारभर में फैल जाएँगीं।

अनुवाद की रणनीतियाँ

  1. यदि दृष्टांत इस कारण समझने में कठिन है कि इसमें अन्जान चीजें लिखी हैं, तो आप उन अंजान चीजों के स्थान पर आपकी संस्कृति में परिचित बातों को लिख सकते हैं। तौभी, शिक्षा अथवा विषय को वही बनाए रखें। (See: Translate Unknowns)
  2. यदि दृष्टांत की बातें स्पष्ट नही हैं, तो यह बताने की कोशिश करें जो यह परिचय में बताता है, जैसे कि ‘‘यीशु ने यह कहानी उदारता के बारे में कही।’’

अनुवाद की रणनीतियों को लागु करने के उदाहरण

  1. यदि दृष्टांत इस कारण समझने में कठिन है कि इसमें अन्जान चीजें लिखी हैं, तो आप उन अंजान चीजों के स्थान पर आपकी संस्कृति में परिचित बातों को लिख सकते हैं। तौभी, शिक्षा अथवा विषय को वही बनाए रखें।
  • यीशु ने उनसे कहा; क्या दिये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि दीवट पर रखा जाए? (मरकुस 4:21 ULB)

(मरकुस 4:21 ULB) यदि लोगों को पता नही है कि दीवट क्या होता है तो आप उसकी जगह पर उस वस्तु का उपयोग कर सकते हैं जो आपके लोग दीये को रखने उपयोग करते हैं

  • यीशु ने उनसे कहा; क्या दिये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि बड़ी अलमारी पर रखा जाए? (मरकुस 4:21 ULB)

उसने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया । उसने कहा कि स्वर्ग का राज्य रार्इ के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बोया । वह सब बीजों से छोटा तो है। पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं। (मत्ती 13:31-32 ULB) - बीज बोने का अर्थ उन्हे जमीन पर फेंकना है। यदि लोग बोने से परिचित नही तो आप उसके बदले में बागवानी को लेते हैं।

  • उसने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया. उसने कहा कि स्वर्ग का राज्य रार्इ के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बोया वह सब बीजों से छोटा तो है. पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं। (मत्ती 13:31-32 ULB) - बीज बोने का अर्थ उन्हे जमीन पर फेंकना है।
  1. यदि दृष्टांत की बातें स्पष्ट नही हैं, तो यह बताने की कोशिश करें जो यह परिचय में बताता है, जैसे कि ‘‘यीशु ने यह कहानी उदारता के बारे में कही।’’
  • यीशु ने उनसे कहा, ‘‘क्या दिये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि दीवट पर रखा जाए? (मरकुस 4:21 ULB)
  • यीशु उनसे खुले रूप में गवाही बताने की बात कह रहे थे, ‘‘क्या दिये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि दीवट पर रखा जाए? (मरकुस 4:21 ULB)
  • उसने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया। उसने कहा कि स्वर्ग का राज्य रार्इ के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बोया। वह सब बीजों से छोटा तो है. पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं।’’ (मत्ती 13:31-32 ULB)
  • तब यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया कि परमेश्वर का राज्य कैसे बढ़ता है उसने कहा कि स्वर्ग का राज्य रार्इ के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बोया। वह सब बीजों से छोटा तो है. पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं।’’