ur-deva_irv/13-1CH.usfm

1474 lines
254 KiB
Plaintext

\id 1CH
\ide UTF-8
\h 1 तवारीख़
\toc1 1 तवारीख़
\toc2 1 तवा
\toc3 1ch
\mt1 1 तवारीख़
\is मुसन्निफ़ की पहचान
\ip 1 तवारीख की किताब ख़ास तौर से उसके मुसन्निफ़ का नाम पेश नहीं करती है — 1 तवारीख बनी इस्राईलियों के खानदानों की फेहरिस्त के साथ शुरू करती है — फिर वह दाउद की हुकूमत मुत्तहिद बादशाही जो बनी इस्राईल के ऊपर थी उसकी कैफ़ीयत को जारी रखती है — सो यह किताब दाऊद बादशाह की कहानी से जुड़ी हुई है जो पुराने अहदनामे की तीर की तरह उड़ने वाली खारीजी सूरत की तरह है — इसका वसी नज़ार: सियासत और ख़दीम इस्राईल की मज़हबी तारीख को शामिल करती है।
\is लिखे जाने की तारीख़ और जगह
\ip इस किताब की तस्नीफ़ की तारीख़ तकरीबन 450 - 400 क़बल मसीह है।
\ip यह बात साफ़ है कि बनी इस्राईल बाबुल गुलामी से वापस आये — जहाँ तक 1 तवारीख 3:19-24 में जिन की फेहरिस्त दी गई है वह दाऊद के नसबनामे से आगे बढ़ ते हुए ज़रुबाबुल के बाद छटी पीड़ी तक जाती है।
\is क़बूल कुनिन्दा पाने वाले
\ip क़दीम यहूदी लोग और बाद में वह तमाम क़ारिईन — ए — बाइबल।
\is असल मक़सूद
\ip 1 तवारीख की किताब गुलामी के बाद लिखी गई थी कि वापस लौटे हुओं की मदद करें ताकि वह समझे कि खुदा की किस तरह इबादत करें जुनूबी हुकुमत यानी यहूदा, बिन्यामीन और लावी की तरफ़ तारीख़ पर ज़्यादा ध्यान दिया गया है — इन क़बीलों ने खुदा की तरफ़ वफादार होने के लिए मायल हुई दाऊद के साथ ख़ुदा ने अपने अहद की हुकूमत हमेशा के लिए आबाद किया — ज़मीनी बादशाह इसे कर नहीं सकते थे पर दाऊद और सुलेमान के ज़रिए ख़ुदा ने अपनी हैकल को कायम किया जहाँ लोग आकर ख़ुदा की इबादत कर सके — सुलेमान के मंदिर को बाबुल के हमलावरों ने बर्बाद किया।
\is मौज़’अ
\ip बनी इस्राईल की रूहानी तारीख़।
\iot बैरूनी ख़ाका
\io1 1 नसब नामे — 1:1-9:44
\io1 2. साऊल की मौत — 10:1-14
\io1 3. दाऊद का मसह और उसकी बादशाही — 11:1-29:30
\s5
\c 1
\s आदम से नूह तक का नसबनामा
\p
\v 1 आदम, सेत, उनूस,
\v 2 किनान, महलीएल, यारिद,
\v 3 हनूक, मतूसिलह, लमक,
\v 4 नूह, सिम, हाम, और याफ़त।
\s याफ़त का नसबनामा
\s5
\p
\v 5 बनी याफ़त: जुमर और माजूज और मादी और यावान और तूबल और मसक और तीरास हैं।
\v 6 और बनी जुमर अश्कनाज और रीफ़त और तुजरमा है।
\v 7 और बनी यावान, इलिसा और तरसीस, कित्ती और दूदानी हैं।
\s हाम का नसबनामा
\s5
\p
\v 8 बनी हाम: कूश और मिस्र, फ़ूत और कनान हैं।
\v 9 बनी कूश: सबा और हवीला और सबता और रा'माह सब्तका हैं और बनी रामाह सबाह और ददान हैं।
\v 10 कूश से नमरूद पैदा हुआ; ज़मीन पर पहले वही बहादुरी करने लगा।
\s5
\v 11 और मिस्र से लूदी और अनामी और लिहाबी और नफ़तूही,
\v 12 और फ़तरूसी और कसलूही जिनसे फ़िलिस्ती निकले, कफ़्तूरी पैदा हुए।
\s5
\v 13 और कनान से सैदा जो उसका पहलौठा था, और हित्त,
\v 14 और यबूसी और अमोरी और जिरजाशी,
\v 15 और हव्वी और 'अर्क़ी और सीनी,
\v 16 और अरवादी और सिमारी और हिमाती पैदा हुए।
\s सिम का नसबनामा
\s5
\p
\v 17 बनी सिम: 'ऐलाम और असूर और अरफ़कसद और लूद और अराम और 'ऊज़ और हूल और जतर और मसक हैं।
\v 18 और अरफ़कसद से सिलह पैदा हुआ और सिलह से इब्र पैदा हुआ।
\v 19 और इब्र से दो बेटे पहले का नाम फ़लज था क्यूँकि उसके अय्याम में ज़मीन बटी, और उसके भाई का नाम युक्तान था।
\s5
\v 20 और युक्तान से अलमूदाद और सलफ़ और हसर मावत और इराख़,
\v 21 और हदूराम और ऊज़ाल और दिक़ला,
\v 22 और 'ऐबाल और अबीमाएल और सबा,
\v 23 और ओफ़ीर और हवीला और यूबाब पैदा हुए; यह सब बनी युक्तान हैं।
\s5
\v 24 सिम, अरफ़कसद, सिलह,
\v 25 इब्र, फ़लज, र’ऊ,
\v 26 सरुज, नहूर, तारह,
\v 27 इब्रहाम या'नी अब्रहाम।
\s अब्रहाम का नसबनामा
\s5
\p
\v 28 अब्रहाम के बेटे: इस्हाक़ और इस्मा'ईल थे।
\v 29 उनकी औलाद यह हैं: इस्मा'ईल का पहलौठा नबायोत उसके बाद कीदार और अदबिएल और मिबसाम,
\v 30 मिशमा'अ और दूमा और मसा, हदद और तेमा,
\v 31 यतूर, नाफ़ीस, क़िदमा; यह बनीइस्मा'ईल हैं।
\s5
\v 32 और अब्रहाम की हरम क़तूरा के बेटे यह हैं: उसके बत्न से ज़िमरान युकसान और मिदान और मिदियान और इस्बाक़ और सूख़ पैदा हुए और बनी युक़सान: सिबा और ददान हैं।
\v 33 और बनी मिदियान: 'एफ़ा और 'इफ़्र और हनूक और अबीदा'अ इल्दू'आ हैं; यह सब बनी क़तूरा हैं।
\s इस्हाक़ का नसबनामा
\s5
\p
\v 34 और अब्रहाम से इस्हाक़ पैदा हुआ। बनी इस्हाक़: 'ऐसौ और इस्राईल थे।
\s 'ऐसौ का नसबनामा
\p
\v 35 बनी 'ऐसौ: इलिफ़ज़ और र'ऊएल और य'ऊस और यालाम और क़ोरह हैं।
\v 36 बनी इलिफ़ज़ तेमान और ओमर और सफ़ी और जा'ताम, क़नज़, और तिम्ना' और 'अमालीक़ हैं।
\v 37 बनी र'ऊएल: नहत, ज़ारह, सम्मा और मिज़्ज़ा हैं।
\s5
\v 38 और बनी श'ईर: लोतान और सोबल और सबा'ऊन और 'अना और दीसोन और एसर और दीसान हैं।
\v 39 और हूरी और होमाम लूतान के बेटे थे, और तिम्ना' लोतान की बहन थी।
\v 40 बनी सोबल: 'अल्यान और मानहत 'एबाल सफ़ी और ओनाम हैं। अय्याह और 'अना सबा'ऊन के बेटे थे।
\s5
\v 41 और 'अना का बेटा दीसोन था; और हमरान और इश्बान और यित्रान और किरान दीसोन के बेटे थे।
\v 42 और एसर के बेटे: बिलहान और ज़ा'वान और या'क़ान थे और ऊज़ और अरान दीसान के बेटे थे।
\s एदोम के बादशाह
\s5
\p
\v 43 और जिन बादशाहों ने मुल्क — ए — अदोम पर उस वक़्त हुकूमत की जब बनी — इस्राईल पर कोई बादशाह हुक्मरान न था वह यह हैं: बाला' बिन ब'ओर; उसके शहर का नाम दिन्हाबा था।
\v 44 और बाला' मर गया और यूबाब बिन ज़ारह जो बुसराही था उसकी जगह बादशाह हुआ।
\v 45 और यूबाब मर गया और हशाम जो तेमान के 'इलाक़े का था उसकी जगह बादशाह हो हुआ।
\s5
\v 46 और हशाम मर गया और हदद बिन बिदद, जिसने मिदियानियों को मोआब के मैदान में मारा उसकी जगह बादशाह हुआ और उसके शहर का नाम 'अवीत था।
\v 47 और हदद मर गया और शमला जो मसरिक़ा का था, उसकी जगह बादशाह हुआ।
\v 48 और शमला मर गया और साउल जो दरिया — ए — फ़रात के पास के रहोबोत का बाशिंदा था उसकी जगह बादशाह हुआ।
\s5
\v 49 और साउल मर गया और बा'ल — हनान बिन अकबूर उसकी जगह बादशाह हुआ।
\v 50 और बा'ल — हनान मर गया और हदद उसकी जगह बादशाह हुआ; उसके शहर का नाम फ़ा'ई और उसकी बीवी का नाम महेतबेल था, जो मतरिद बिन्त मेज़ाहाब की बेटी थी।
\s5
\v 51 और हदद मर गया। फिर यह अदोम के रईस हुए: रईस तिम्ना’, रईस अलियाह, रईस यतीत,
\v 52 रईस ओहलीबामा, रईस ऐला, रईस फ़ीनोन,
\v 53 रईस क़नज़, रईस तेमान, रईस मिब्सार,
\v 54 रईस मज्दिएल, रईस 'इराम; अदोम के रईस यही हैं।
\s5
\c 2
\s इस्राईल का नसबनामा
\p
\v 1 यह बनी इस्राईल हैं: रूबिन, शमौन, लावी, यहूदाह, इश्कार और ज़बूलून,
\v 2 दान, यूसुफ़, और बिनयमीन, नफ़्ताली, जद्द और आशर।
\s यहूदाह का नसबनामा
\s5
\p
\v 3 'एर और ओनान और सीला, यह यहूदाह के बेटे हैं; यह तीनों उससे एक कना'नी 'औरत बतसू'अ के बत्न से पैदा हुए। और यहूदाह का पहलौठा 'एर ख़ुदावंद की नज़र में एक शरीर था, इसलिए उसने उसको मार डाला;
\v 4 और उसकी बहू तमर के उससे फ़ारस और ज़ारह हुए। यहूदाह के कुल पांच बेटे थे।
\s5
\v 5 और फ़ारस के बेटे हसरोन और हमूल थे।
\v 6 और ज़ारह के बेटे: ज़िमरी और ऐतान, हैमान और कलकूल और दारा', या'नी कुल पाँच थे।
\v 7 और इस्राईल का दुख देने वाला 'अकर जिसने मख़्सूस की हुई चीज़ों में ख़यानत की, करमी का बेटा था;
\v 8 और ऐतान का बेटा 'अज़रियाह था।
\s5
\v 9 और हसरोन के बेटे जो उससे पैदा हुए यह हैं: यरहमिएल और राम और कुलूबी।
\v 10 और राम से 'अम्मीनदाब पैदा हुआ और 'अम्मीनदाब से नहसोन पैदा हुआ, जो बनी यहूदाह का सरदार था।
\v 11 और नहसोन से सलमा पैदा हुआ और सलमा से बो'अज़ पैदा हुआ।
\v 12 और बो'अज़ से 'ओबेद पैदा हुआ और 'ओबेद से यस्सी पैदा हुआ।
\s5
\v 13 यस्सी से उसका पहलौठा 'इलियाब पैदा हुआ, और अबीनदाब दूसरा, और सिमआ तीसरा,
\v 14 नतनिएल चौथा, रद्दी पाँचवाँ,
\v 15 'ओज़म छठा, दाऊद सातवाँ,
\s5
\v 16 और उनकी बहनें ज़रोयाह और अबीजेल थीं। अबीशै और योआब और 'असाहेल, यह तीनों ज़रुयाह के बेटे हैं।
\v 17 और अबीजेल से 'अमासा पैदा हुआ, और 'अमासा का बाप इस्माईली यतर था।
\s5
\v 18 और हसरोन के बेटे कालिब से, उसकी बीवी 'अजूबाह और यरी'ओत के औलाद पैदा हुई। अजूबाह के बेटे यह हैं: यशर और सूबाब और अरदून।
\v 19 और 'अजूबाह मर गई, और कालिब ने इफ़रात को ब्याह लिया जिसके बत्न से हूर पैदा हुआ।
\v 20 और हूर से ऊरी पैदा हुआ और ऊरी से बज़लिएल पैदा हुआ।
\s5
\v 21 उसके बाद हसरोन जिल'आद के बाप मकीर की बेटी के पास गया; जिससे उसने साठ बरस की उम्र में ब्याह किया था और उसके बत्न से शजूब पैदा हुआ।
\v 22 और शजूब से याईर पैदा हुआ। जो मुल्क — ए — जिल'आद में तेईस शहरों का मालिक था।
\s5
\v 23 और जसूर और अराम ने याईर के शहरों को और क़नात को म'ए उसके क़स्बों के या'नी साठ शहरों को उन से ले लिया। यह सब जिल'आद के बाप मकीर के बेटे थे।
\v 24 और हसरोन के कालिब इफ़राता में मर जाने के बाद हसरोन की बीवी अबियाह के उससे अशूर पैदा हुआ जो तक़ू'अ का बाप था।
\s5
\v 25 और हसरोन के पहलौठे, यरहमिएल के बेटे यह हैं: राम जो उसका पहलौठा था और बूना और ओरन और ओज़म और अखि़याह।
\v 26 और यरहमिएल की एक और बीवी थी जिसका नाम 'अतारा था। वह ओनाम की माँ थी।
\v 27 और यरहमिएल के पहलौठे राम के बेटे मा'ज़ और यमीन 'एकर थे।
\v 28 और ओनाम के बेटे: सम्मी और यदा'; और सम्मी के बेटे: नदब और अबीसूर थे।
\s5
\v 29 और अबीसूर की बीवी का नाम अबीख़ैल था। उसके बत्न से अख़बान और मोलिद पैदा हुए।
\v 30 और नदब के बेटे: सिलिद अफ़्फ़ाईम थे लेकिन सिलिद बे औलाद मर गया।
\v 31 और अफ़्फ़ाईम का बेटा यस'ई; और यस'ई का बेटा सीसान; और सीसान का बेटा अख़ली था।
\v 32 और सम्मी के भाई यदा' के बेटे: यतर और यूनतन थे; और यतर बे औलाद मर गया।
\v 33 और यूनतन के बेटे: फ़लत और ज़ाज़ा; यह यरहमिएल के बेटे थे।
\s5
\v 34 और सीसान के बेटे नहीं सिर्फ़ बेटियाँ थीं और सीसान का एक मिस्री नौकर यरख़ा' नामी था।
\v 35 इसलिए सीसान ने अपनी बेटी को अपने नौकर यरख़ा' से ब्याह दिया, और उसके उससे 'अत्ती पैदा हुआ।
\s5
\v 36 और अत्ती से नातन पैदा हुआ, और नातन से ज़ाबा'द पैदा हुआ,
\v 37 और ज़ाबा'द से इफ़लाल पैदा हुआ और इफ़लाल से 'ओबेद पैदा हुआ।
\v 38 और 'ओबेद से याहू पैदा हुआ और याहू से 'अज़रयाह पैदा हुआ
\s5
\v 39 और अज़रयाह से ख़लस पैदा हुआ, और ख़लस से इलि, आसा पैदा हुआ,
\v 40 और इलि'आसा से सिसमी पैदा हुआ, और सिसमी से सलूम पैदा हुआ।
\v 41 और सलूम से यक़मियाह पैदा हुआ और यक़मियाह से इलीसमा' पैदा हुआ।
\s5
\v 42 यरहमिएल के भाई कालिब के बेटे यह हैं: मीसा उसका पहलौठा जो ज़ीफ़ का बाप है, और हबरून के बाप मरीसा के बेटे।
\v 43 और बनी हबरून: क़ोरह और तफ़्फ़ूह और रक़म और समा' थे।
\v 44 और समा' से युरक़'आम का बाप रख़म पैदा हुआ, और रख़म से सम्मी पैदा हुआ।
\s5
\v 45 और सम्मी का बेटा: म'ऊन था और म'ऊन बैतसूर का बाप था।
\v 46 और कालिब की हरम ऐफ़ा से हरान और मौज़ा और जाज़िज़ पैदा हुए और हारान से जाज़िज़ पैदा हुआ।
\v 47 और बनी यहदी: रजम और यूताम और जसाम और फ़लत और 'ऐफ़ा और शा'फ़ थे।
\s5
\v 48 और कालिब की हरम मा'का से शिब्बर और तिरहनाह पैदा हुए।
\v 49 उसी के बत्न से मदमन्नाह का बाप शा'फ़ और मकबीना का बाप सिवा और रहज और रिजबा' का बाप भी पैदा हुए; और कालिब की बेटी 'अकसा थी।
\s5
\v 50 कालिब के बेटे यह थे। इफ़राता के पहलौठे हूर का बेटा क़रयत — या'रीम का बाप सोबल,
\v 51 बैतलहम का बाप सलमा, और बैतजादिर का बाप ख़ारीफ़।
\s5
\v 52 और क़रयत — यारीम के बाप सोबल के बेटे ही बेटे थे; हराई और मनोख़ोत के आधे लोग।
\v 53 और क़रयत या'रीम के घराने यह थे: इतरी और फ़ूती और सुमाती और मिस्रा'ई इन्हीं से सुर'अती और इश्तावली निकले हैं।
\s5
\v 54 बनी सलमा यह थे: बैतलहम और नतूफ़ाती और 'अतरात — बैतयुआब और मनूख़तियों के आधे लोग और सुर'ई,
\v 55 और या'बीज़ के रहने वाले मुन्शियों के घराने, तिर'आती और सम'आती और सौकाती; यह वह क़ीनी हैं जो रैकाब के घराने के बाप हमात की नसल से थे।
\s5
\c 3
\s दाऊद का नसबनामा
\p
\v 1 यह दाऊद के बेटे हैं जो हबरून में उससे पैदा हुए: पहलौठा अमनोन, यज़र'एली अख़नूअम के बत्न से; दूसरा दानिएल, कर्मिली अबीजेल के बत्न से;
\v 2 तीसरा अबीसलोम, जो जसूर के बादशाह तल्मी की बेटी मा'का का बेटा था; चौथा अदूनियाह, जो हज्जियत का बेटा था।
\v 3 पाँचवाँ सफ़तियाह, अबीताल ले बत्न से; छठा इतर'आम, उसकी बीवी 'इजला से।
\s5
\v 4 यह छ: हबरून में उससे पैदा हुए। उसने वहाँ सात बरस छ: महीने हुकूमत की, और येरूशलेम में उसने तैंतीस बरस हुकूमत की।
\v 5 और यह येरूशलेम में उससे पैदा हुए: सिम'आ और सोबाब और नातन और सुलेमान, यह चारों 'अम्मीएल की बेटी बतसू'अ के बत्न से थे।
\s5
\v 6 और इब्हार और इलीसमा' और इलिफ़ालत,
\v 7 और नुजा और नफ़ज और यफ़ी'आ,
\v 8 और इलीसमा' और इलीयदा' और इलिफ़ालत; यह नौ
\v 9 यह सब हरमों के बेटों के 'अलावा दाऊद के बेटे थे; और तमर इनकी बहन थी
\s5
\v 10 और सुलेमान का बेटा रहुब'आम था उसका बेटा अबियाह, उसका बेटा आसा, उसका बेटा यहूसफ़त;
\v 11 उसका बेटा यूराम, उसका बेटा अख़ज़ियाह उसका बेटा यूआस;
\v 12 उसका बेटा अमसियाह, उसका बेटा अज़रियाह, उसका बेटा यूताम;
\s5
\v 13 उसका बेटा आख़ज़, उसका बेटा हिज़क़ियाह, उसका बेटा मनस्सी।
\v 14 उसका बेटा अमून, उसका बेटा यूसियाह;
\s5
\v 15 और यूसियाह के बेटे यह थे: पहलौठा यूहनान, दूसरा यहूयक़ीम, तीसरा सिदक़ियाह, चौथा सलूम।
\v 16 और बनी यहूयक़ीम: उसका बेटा यकूनियाह, उसका बेटा सिदक़ियाह।
\s5
\v 17 और यकूनियाह जो ग़ुलाम था, उसके बेटे यह हैं: सियालतिएल,
\v 18 और मल्कराम और फ़िदायाह और शीनाज़र, यक़मियाह, होसमा' और नदबियाह;
\s5
\v 19 और फ़िदायाह के बेटे यह हैं: ज़रुब्बाबुल और सिम'ई और ज़रब्बाबुल के बेटे यह हैं: मुसल्लाम और हनानियाह, और सल्लूमियत उनकी बहन थी,
\v 20 और हसूबा और अहल और बरकियाह और हसदियाह, यूसजसद यह पाँच।
\v 21 और हनानियाह के बेटे यह हैं: फ़लतियाह और यसा'याह। बनी रिफ़ायाह, बनी अरनान, बनी 'ईदयाह, बनी सकनियाह,
\s5
\v 22 और सकनियाह का बेटा: समा'याह और बनी समा'याह: हतूश और इजाल और बरीह और ना'रियाह और साफ़त' यह छ:।
\v 23 और ना'रियाह के बेटे यह थे: इलीहू'ऐनी, और हिज़क़ियाह और 'अज़रिक़ाम, यह तीन।
\v 24 और बनी इलीहू'ऐनी यह थे: हूदैवाहू और 'इलियासब और फ़िलायाह और 'अक़्क़ूब और युहनान और दिलायाह 'अनानी, यह सात।
\s5
\c 4
\s यहूदाह का नसबनामा
\p
\v 1 बनी यहूदाह यह हैं: फ़ारस, हसरोन और कर्मी और हूर और सोबल।
\v 2 और रियायाह बिन सोबल से यहत पैदा हुआ और यहत से अख़ूमी और लाहद पैदा हुए, यह सुर'अतियों के ख़ानदान हैं।
\s5
\v 3 और यह 'ऐताम के बाप से हैं: यज़र'एल और इसमा' और इदबास और उनकी बहन का नाम हज़िल — इलफ़ूनी था;
\v 4 और फ़नूएल जदूर का बाप और 'अज़र हूसा का बाप था। यह इफ़राता के पहलौठे हूर के बेटे हैं। जो बैतलहम का बाप था।
\s5
\v 5 और तकू'अ के बाप अशूर की दो बीवियां थीं हीलाह और ना'रा।
\v 6 और ना'रा के उससे अख़ूसाम और हिफ़्र और तेमनी और हख़सतरी पैसा हुए। यह ना'रा के बेटे थे।
\v 7 और हीलाह के बेटे: ज़रत और यज़ूआर और इतनान थे।
\v 8 क़ूज़ से 'अनूब और ज़ोबीबा और हरूम के बेटे आख़रख़ैल के घराने पैदा हुए।
\s5
\v 9 और या'बीज़ अपने भाइयों से मु'अज़िज़ था और उसकी माँ ने उसका नाम या'बीज़ रक्खा क्यूँकि कहती थी, की “मैंने ग़म के साथ उसे जनम दिया है।”
\v 10 और या'बीज़ ने इस्राईल के ख़ुदा से यह दुआ की, “आह, तू मुझे वाक़'ई बरकत दे, और मेरी हुदूद को बढ़ाए, और तेरा हाथ मुझ पर हो और तू मुझे बदी से बचाए ताकि वह मेरे ग़म का ज़रि'अ न हो!” और जो उसने माँगा ख़ुदा ने उसको बख़्शा।
\s5
\v 11 और सूख़ा के भाई कलूब से महीर पैदा हुआ जो इस्तून का बाप था।
\v 12 और इस्तून से बैतरिफ़ा और फ़ासह और 'ईरनहस जा बाप तख़िन्ना पैदा हुए। यही रैका के लोग हैं।
\s5
\v 13 और क़नज़ के बेटे: ग़ुतनिएल और शिरायाह थे, और ग़ुतनिएल का बेटा हतत था।
\v 14 और म'ऊनाती से 'उफ़रा पैदा हुआ, और शिरायाह से युआब पैदा हुआ जो जिख़राशीम का बाप है; क्यूँकि वह कारीगर थे।
\v 15 और यफ़ुन्ना के बेटे कालिब के बेटे यह हैं: 'ईरु और ऐला और ना'म; और बनी ऐला:क़नज़।
\v 16 और यहलिलएल के बेटे यह हैं: ज़ीफ़ और ज़ीफ़ा, तैरयाह और असरिएल।
\s5
\v 17 और 'अज़रा के बेटे यह हैं: यतर और मरद और 'इफ़्र और यलून और उसके बत्न से मरियम और सम्मी और इस्तिमू'अ का बाप इस्बाह पैदा हुए,
\v 18 और उसकी यहूदी बीवी के उस से जदूर का बाप यरद और शोको का बाप हिब्र और ज़नोआह का बाप यक़ूतिएल पैदा हुए; और फ़िर'औन की बेटी बित्याह के बेटे जिसे मरद ने ब्याह लिया था यह हैं।
\s5
\v 19 और यहूदियाह की बीवी नहम की बहन के बेटे क़'ईलाजर्मी का बाप और इस्तिमू'अ मा'काती थे।
\v 20 और सीमोन के बेटे यह हैं: अमनून और रिन्ना, बिनहन्नान और तीलोन, और यस'ई के बेटे: ज़ोहित और बिनज़ोहित थे।
\s5
\v 21 और सीला बिन यहूदाह के बेटे यह हैं: 'एर, लका का बाप; और ला'दा, मरीसा का बाप और बीत — अशबि'अ के घराने, जो बारीक कटान का काम करते थे।
\v 22 और योक़ीम और कोज़ीबा के लोग, और यूआस और शराफ़ जो मोआब के बीच हुक्मरान थे, और यसूबी लहम। यह पुरानी तवारीख़ है।
\v 23 यह कुम्हार थे और नताईम और गदेरा के बाशिंदे थे। वह वहाँ बादशाह के साथ उसके काम के लिए रहते थे।
\s5
\v 24 बनी शमौन यह हैं: नमुएल, और यमीन, यरीब, ज़ारह, साऊल।
\v 25 और सूल का बेटा सलूम और सलूम का बेटा मिब्साम, और मिब्साम का बेटा मिशमा'अ।
\v 26 और मिशमा'अ के बेटे यह हैं: हमुएल हमुएल का बेटा ज़कूर, ज़कूर का बेटा सिम'ई।
\s5
\v 27 और सिम'ई के सोलह बेटे और छ: बेटियाँ थीं, लेकिन उसके भाइयों के बहुत औलाद न हुईं और उनके सब घराने बनी यहूदाह की तरह न बढ़े।
\v 28 और वह बैरसबा' और मोलादा और हसरसो'आल,
\s5
\v 29 और बिलहा और 'अज़म और तोलाद,
\v 30 और बतुएल और हुरमा और सिक़लाज,
\v 31 और मरकबोत और हसर सूसीम और बैतबराई और शा'रीम में रहते थे। दाऊद की हुकूमत तक यही उनके शहर थे।
\s5
\v 32 और उनके गाँव:'ऐताम और 'ऐन और रिमोन और तोकन और 'असन, यह पाँच शहर थे।
\v 33 और उनके रहने देहात भी, जो बा'ल तक उन शहरों के आस पास थे यह उनके रहने के मुक़ाम थे और उनके नसबनामे हैं।
\s5
\v 34 और मिसोबाब, यमलीक और योशा बिन अमसियाह,
\v 35 और यूएल और याहू बिन यूसीबियाह बिन सिरायाह बिन 'असिएल,
\v 36 और इलीयू'ऐनी और या'क़ूबा और यसुखाया और 'असायाह और 'अदिएल और यिसीमिएल और बिनायाह,
\v 37 और ज़ीज़ा बिन शिफ़'ई बिन अल्लून बिन यदायाह बिन सिमरी बिन समा'याह:
\v 38 यह जिनके नाम मज़कूर हुए, अपने अपने घराने के सरदार थे और इनके आबाई ख़ानदान बहुत बढ़े।
\s5
\v 39 और वह जदूर के मदख़ल तक या'नी उस वादी के पूरब तक अपने गल्लों के लिए चरागाह ढूँडने गए,
\v 40 वहाँ उन्होंने अच्छी और सुथरी चरागाह पायी और मुल्क वसी' और चैन और सुख की जगह था; क्यूँकि हाम के लोग क़दीम से उस में रहते थे।
\v 41 और वह जिनके नाम लिखे गए हैं, शाह — ए — यहूदाह हिज़क़ियाह के दिनों में आये और उन्होंने उनके पड़ाव पर हमला किया और म'ऊनीम को जो वहाँ मिले क़त्ल किया, ऐसा की वह आज के दिन तक मिटे हैं, और उनकी जगह रहने लगे क्यूँकि उनके गल्लों के लिए वहाँ चरागाह थी।
\s5
\v 42 और उनमें से या'नी शमौन के बेटों में से पाँच सौ शख़्स कोह — ए — श'ईर को गए और यस'ई के बेटे फ़लतियाह और ना'रियाह और रिफ़ायाह और 'उज़्ज़ीएल उनके सरदार थे;
\v 43 और उन्होंने उन बाक़ी 'अमालीक़ियों को जो बच रहे थे क़त्ल किया और आज के दिन तक वहीं बसे हुए हैं।
\s5
\c 5
\s रूबिन का नसबनामा
\p
\v 1 और इस्राईल के पहलौठे रूबिन के बेटे क्यूँकि वह उसका पहलौठा था, लेकिन इसलिए की उसने अपने बाप के बिछौने को नापाक किया था उसके पहलौठे होने का हक़ इस्राईल के यूसुफ़ की औलाद को दिया गया, ताकि नसबनामा पहलौठे पन के मुताबिक़ न हो।
\v 2 क्यूँकि यहूदाह अपने भाइयों से ताक़तवर हो गया और सरदार उसी में से निकला लेकिन पहलौठे का यूसुफ़ का हुआ
\v 3 इसलिए इस्राईल के पहलौठे रूबिन के बेटे यह हैं: हनूक और फ़ल्लू और हसरोन और कर्मी।
\s5
\v 4 योएल के बेटे यह हैं: उसका बेटा समा'याह, सम'याह का बेटा जूज, जूज का बेटा सिम'ई।
\v 5 सिम'ई का बेटा मीकाह, मीकाह का बेटा रियायाह, रियायाह का बेटा बा'ल।
\v 6 बा'ल का बेटा बईरा जिसको असूर का बादशाह तिलगातपिलनासर ग़ुलाम कर के ले गया। वह रूबीनियों का सरदार था।
\s5
\v 7 और उसके भाई अपने अपने घराने के मुताबिक़ जब उनकी औलाद का नसब नामा लिख्खा गया था, सरदार य'ईएल और ज़करियाह,
\v 8 और बाला' बिन 'अज़ज़ बिन समा' योएल, वह 'अरो'ईर में नबू और बा'ल म'ऊन तक,
\v 9 और पूरब की तरफ़ दरिया — ए — फ़रात से वीरान में दाख़िल होने की जगह तक बसा हुआ था क्यूँकि मुल्क — ए — जिल'आद में उनके चौपाये बहुत बढ़ गए थे।
\s5
\v 10 और साऊल के दिनों में उन्होंने हाजिरियों से लड़ाई की जो उनके हाथ से क़त्ल हुए, और वह जिल'आद के पूरब के सारे 'इलाक़े में उनके डेरों में बस गए।
\s5
\v 11 और बनी जद्द उनके सामने मुल्क — ए — बसन में सलका तक बसे हुए थे।
\v 12 पहला यूएल था, और साफ़म दूसरा, और या'नी और साफ़त बसन में थे।
\v 13 और उनके आबाई ख़ानदान के भाई यह हैं: मीकाएल और मुसल्लाम और सबा' और यूरी और या'कान और ज़ी'अ और 'इब्र, यह सातों।
\s5
\v 14 यह बनी अबीख़ैल बिन हूरी बिन यारूआह बिन जिल'आद बिन मीकाएल बिन यमीसी बिन यहदू बिन बूज़ थे।
\v 15 अख़ी बिन 'अबदिएल बिन जूनी इनके आबाई ख़ानदानों का सरदार था।
\s5
\v 16 और वह बसन में जिल'आद और उसके क़स्बों और शारून की सारे 'इलाक़ा में, जहाँ तक उनकी हद्द थी, बसे हुए थे।
\v 17 यहूदाह के बादशाह यूताम के दिनों में, और इस्राईल के बादशाह युरब'आम के दिनों में उन सभों के नाम उनके नसबनामों के मुताबिक़ लिखे गए।
\s5
\v 18 और बनी रूबिन और जद्दियों और मनस्सी के आधे क़बीले में सूर्मा, या'नी ऐसे लोग जो सिपर और तेग़ उठाने के क़ाबिल और तीरअन्दाज़ और जंग आज़मूदा थे, चौवालीस हज़ार सात सौ साठ थे जो जंग पर जाने के लायक़ थे।
\v 19 यह हजिरियों और यतूर और नफ़ीस और नोदब से लड़े।
\s5
\v 20 और उनसे मुक़ाबिला करने के लिए मदद पायी, और हाजिरी और सब जो उनके साथ थे उनके हवाले किए गए क्यूँकि उन्होंने लड़ाई में ख़ुदा से दुआ की और उनकी दुआ क़ुबूल हुई, इसलिए की उन्होंने उस पर भरोसा रख्खा।
\v 21 और वह उनकी मवेसी ले गए; उनके ऊँटों में से पचास हज़ार और भेड़ बकरियों में से ढाई लाख और गधों में से दो हज़ार और आदमियों में से एक लाख।
\v 22 क्यूँकि बहुत से लोग क़त्ल हुए इसलिए की जंग ख़ुदा की थी और वह ग़ुलामी के वक़्त तक उनकी जगह बसे रहे।
\s5
\v 23 और मनस्सी के आधे क़बीले के लोग मुल्क में बसे। वह बसन से बा'लहरमून और सनीर और हरमून के पहाड़ तक फैल गए।
\v 24 उनके आबाई ख़ानदानों के सरदार यह थे: 'इफ़्र और यिस'ई और इलीएल, 'अज़रिएल, यरमियाह और हुदावियाह और यहदएल, जो ताक़तवर सूर्मा और नामवर और अपने आबाई ख़ानदानों के सरदार थे।
\s5
\v 25 और उन्होंने अपने बाप दादा के ख़ुदा की हुक्म 'उदूली की, और जिस मुल्क के बाशिंदों को ख़ुदा ने उनके सामने से हलाक किया था, उन ही के मा'बूदों की पैरवी में उन्होंने ज़िनाकारी की।
\v 26 तब इस्राईल के ख़ुदा ने असूर के बादशाह पूल के दिल को और असूर के बादशाह तिलगातपिलनासर के दिल को उभारा, और वह उनकी या'नी रूबिनियों और जद्दियों और मनस्सी के आधे क़बीले को ग़ुलाम कर के ले गए और उनको ख़लह और ख़ाबूर और हारा और जौज़ान की नदी तक ले आये; यह आज के दिन तक वहीं हैं।
\s5
\c 6
\s क़ाहिनों का खानदान
\p
\v 1 बनी लावी:जैरसोन, क़िहात, और मिरारी हैं।
\v 2 और बनी क़िहात:'अमराम और इज़हार और हबरून और 'उज़्ज़िएल।
\v 3 और 'अमराम की औलाद:हारून और मूसा और मरियम। और बनी हारून: नदब और अबीहू इली'एलियाज़र और ऐतामर।
\s5
\v 4 इली'एलियाज़र से फ़ीनहास पैदा हुआ और फ़ीनहास से अबीसू'आ पैदा हुआ,
\v 5 और अबीसू'आ से बुक़्क़ी पैदा हुआ, और बुक़्क़ी 'उज़्ज़ी पैदा हुआ।
\v 6 और उज़्ज़ी ज़राख़ियाह पैदा हुआ, और ज़राख़ियाह से मिरायोत पैदा हुआ।
\s5
\v 7 मिरायोत से अमरियाह पैदा हुआ, और अमरियाह अख़ीतोब पैदा हुआ।
\v 8 और अख़ीतोब सदूक़ पैदा हुआ, और सदूक़ से अख़ीमा'ज़ पैदा हुआ।
\v 9 और अख़ीमा'ज़ से 'अज़रियाह पैदा हुआ, और 'अज़रियाह से यूहनान पैदा हुआ,
\s5
\v 10 और यूहनान से अज़रियाह पैदा हुआ यह वह है जो उस हैकल में जिसे सुलेमान ने येरूशलेम में बनाया था, काहिन था।
\v 11 और 'अज़रियाह से अमरियाह पैदा हुआ और अमरियाह से अख़ितोब पैदा हुआ।
\v 12 और अख़ितोब से सदूक़ पैदा हुआ और सदूक़ से सलूम पैदा हुआ।
\s5
\v 13 और सलूम से ख़िलक़ियाह पैदा हुआ और ख़िलक़ियाह से 'अज़रियाह पैदा हुआ।
\v 14 और 'अज़रियाह से सिरायाह पैदा हुआ और सिरायाह से यहूसदक़ पैदा हुआ।
\v 15 और जब ख़ुदावन्द ने नबूकदनज़र के हाथ यहूदाह और येरूशलेम को जिला वतन कराया, तो यहूसदक़ भी ग़ुलाम हो गया।
\s लावियों का कबीला
\s5
\p
\v 16 बनी लावी:जैरसोम क़िहात, और मिरारी हैं।
\v 17 और जैरसोम के बेटों के नाम यह हैं: लिबनी और सिम'ई।
\v 18 और बनी क़िहात:'अमराम और इज़हार और हबरून और 'उज़्ज़ीएल थे।
\s5
\v 19 मिरारी के बेटे यह हैं: महली और मूशी और लावियों के घराने उनके आबाई ख़ानदानों के मुताबिक़ यह हैं।
\v 20 जैरसोम से उसका बेटा लिबनी। लिबनी का बेटा यहत, यहत का बेटा ज़िम्मा।
\v 21 ज़िम्मा का बेटा यूआख़, यूआख़ का बेटा 'ईदू, 'ईदू का बेटा ज़ारह, ज़ारह का बेटा यतरी।
\s5
\v 22 बनी क़िहात:क़िहात का बेटा अम्मीनदाब, का बेटा अम्मीनदाब का बेटा क़ोरह, क़ोरह का बेटा अस्सीर,
\v 23 अस्सीर का बेटा इल्क़ाना। इल्क़ाना का बेटा अबी आसफ़। अबी आसफ़ का बेटा अस्सीर।
\v 24 अस्सीर का बेटा तहत, तहत का बेटा ऊरिएल। ऊरिएल का बेटा उज़्ज़ियाह, 'उज़्ज़ियाह का बेटा साऊल।
\s5
\v 25 और इल्क़ाना के बेटे यह हैं: 'अमासी और अख़ीमोत।
\v 26 रहा इल्क़ाना तो, इल्क़ाना के बेटे यह हैं: या'नी उसका बेटा सूफ़ी, सूफ़ी का बेटा नहत।
\v 27 नहत का बेटा इलियाब, इलियाब का बेटा यरोहाम, यरुहाम का बेटा इल्क़ाना।
\s5
\v 28 समुएल के बेटों में पहलौठा यूएल, दूसरा अबियाह।
\v 29 बनी मिरारी यह हैं: महली, महली का बेटा लिबनी, लिबनी का बेटा सम'ई, सम'ई का बेटा 'उज़्ज़ा,
\v 30 'उज़्ज़ा का बेटा सिम'आ, सिम'आ का बेटा हिज्जियाह, का बेटा 'असायाह।
\s5
\v 31 वह जिनको दाऊद ने सन्दूक़ के ठिकाना पाने के बाद ख़ुदावन्द के घर में हम्द के काम पर मुक़र्रर किया यह हैं:
\v 32 और वह जब तक सुलेमान येरूशलेम में ख़ुदावन्द का घर बनवा न चुका हम्द गा गा कर ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के मसकन के सामने ख़िदमत करते रहे और अपनी अपनी बारी के मुवाफ़िक़ अपने काम पर हाज़िर रहते थे।
\s5
\v 33 और जो हाज़िर रहते थे वह और उनके बेटे यह हैं: क़िहातियों की औलाद में से हैमान गवय्या बिन यूएल बिन समुएल।
\v 34 बिन इल्क़ाना बिन यरोहाम, बिन इलीएल, बिन तूह।
\v 35 बिन सूफ़ बिन इल्क़ाना बिन महत बिन 'अमासी।
\s5
\v 36 बिन इल्क़ाना बिन यूएल बिन 'अज़रियाह बिन सफ़नियाह।
\v 37 बिन तहत बिन अस्सीर बिन अबी आसफ़ बिन क़ोरह।
\v 38 बिन इज़हार बिन क़िहात बिन लावी बिन इस्राईल।
\s5
\v 39 और उसका भाई आसफ़ जो उसके दहने खड़ा होता था, या'नी आसफ़ बिन बरकियाह बिन सिम'आ।
\v 40 बिन मीकाएल बिन बा'सियाह बिन मलकियाह।
\v 41 बिन अतनी बिन जारह बिन 'अदायाह।
\v 42 बिन ऐतान बिन ज़िम्मा बिन सिम'ई।
\v 43 बिन यहत बिन जैरसोम बिन लावी।
\s5
\v 44 और बनी मिरारी उनके भाई बाएं हाथ खड़े होते थे या'नी ऐतान बिन क़ीसी बिन 'अबदी बिन मुलोक।
\v 45 बिन हसबियाह बिन अमसियाह बिन ख़िलक़ियाह।
\v 46 बिन अमसी बिन बानी बिन सामर।
\v 47 बिन महली बिन मूशी नीं मिरारी बिन लावी।
\s5
\v 48 और उनके भाई लावी बैत उल्लाह के घर की सारी ख़िदमत पर मुक़र्रर थे।
\s5
\v 49 लेकिन हारून और उसके बेटे सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह और ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह दोनों पर पाकतरीन मकान की सारी ख़िदमत को अंजाम देने और इस्राईल के लिए कफ़्फ़ारा देने के लिए जैसा ख़ुदा बन्दे मूसा ने हुक्म किया था क़ुर्बानी पेश करते थे।
\s5
\v 50 बनी हारून यह हैं: हारून का बेटा इलीअज़र, इली'एलियाज़र का बेटा फ़ीनहास, फ़ीनहास का बेटा अबीसू'आ।
\v 51 अबीसू'अ का बेटा बुक़्क़ी, बुक़्क़ी का बेटा 'उज़्ज़ी, 'उज़्ज़ी का बेटा ज़राखियाह।
\v 52 ज़राखियाह का बेटा मिरायोत, मिरायोत का बेटा अमरियाह, अमरियाह का बेटा अख़ीतोब।
\v 53 अख़ीतोब का बेटा सदूक़, सदूक़ का बेटा अख़ीमा'ज़।
\s5
\v 54 और उनकी हुदूद में उनकी छावनियों के मुताबिक़ उनकी सुकूनतगाहें यह हैं; बनी हारून में से क़िहातियों के ख़ानदानों को, जिनकी पर्ची पहली निकली।
\v 55 उन्होंने यहूदाह की ज़मीन में हबरून और उसका 'इलाक़ा की दिया।
\v 56 लेकिन उस शहर के खेत और उसके देहात युफ़न्ना के बेटे कालिब को दिए।
\s5
\v 57 और बनी हारून को उन्होंने पनाह के शहर दिए और हबरून और लिबनाह भी और उसका 'इलाक़ा और यतीर और इस्तिमू'अ और उसका 'इलाक़ा।
\v 58 और हैलान और उसका 'इलाक़ा, और दबीर और उसका 'इलाक़ा,
\s5
\v 59 और 'असन और उसका 'इलाक़ा, और बैत समा' और उसका 'इलाक़ा।
\v 60 और बिनयमीन के क़बीले में से जिबा' और उसका 'इलाक़ा, और 'अलमत और उसका 'इलाक़ा, और 'अन्तोत और उसका इलाक़ा, उनके घरानों के सब शहर तेरह थे।
\s5
\v 61 और बाक़ी बनी क़िहात को आधे क़बीले, या'नी मनस्सी के आधे क़बीले में से दस शहर पर्ची डालकर दिए गए।
\v 62 और जैरसोम के बेटों को उनके घरानों के मुताबिक़ इश्कार के क़बीले और और आशर के क़बीले और नफ़्ताली के क़बीले और मनस्सी के क़बीले से जो बसन में था तेरह शहर मिले।
\s5
\v 63 मिरारी के बेटों को उनके घरानों के मुताबिक़ रूबिन के क़बीले, और जद्द के क़बीले और ज़बूलून के क़बीले में से बारह शहर पर्ची डालकर दिए गए।
\v 64 फिर बनी इस्राईल ने लावियों को वह शहर उनका 'इलाक़ा समेत दिए।
\v 65 और उनोने बनी यहूदाह के क़बीले, और बनी शमौन के क़बीले, और बनी बिनयमीन के क़बीले, में से यह शहर जिनके नाम मज़कूर हुए पर्ची डालकर दिए।
\s5
\v 66 और बनी क़िहात के कुछ ख़ानदानों के पास उनकी सरहद्दों के शहर इफ़्राईम के क़बीले में से थे।
\v 67 और उन्होंने उनको पनाह के शहर दिए या'नी इफ़्राईम के पहाड़ी मुल्क में सिकम और उसका 'इलाक़ा और जज़र भी और उसका 'इलाक़ा।
\v 68 और युक़म'आम और उसका 'इलाक़ा और बैतहौरून और उसका 'इलाक़ा।
\v 69 और अय्यालोन और उसका 'इलाक़ा, नाफ़्ताली और जातरिम्मोन और उसका 'इलाक़ा।
\s5
\v 70 और मनस्सी के आधे क़बीले में से आज़र और उसका 'इलाक़ा, और बिल'आम और उसका 'इलाक़ा बनी क़िहात के बाक़ी ख़ानदान को मिली।
\s5
\v 71 बनी जैरसोम को मनस्सी के आधे क़बीले के ख़ानदान जोलान और उसका इलाक़ा, बसन में और असारात और उसका 'इलाक़ा।
\v 72 और इश्कार के क़बीले में से क़ादिस और उसका 'इलाक़ा। दाबरात और उसका 'इलाक़ा।
\v 73 और रामात और उसका 'इलाक़ा, और आनीम और उसका 'इलाक़ा।
\s5
\v 74 और आसर के क़बीले में से मसल और उसका 'इलाक़ा, और 'अबदोन और उसका 'इलाक़ा।
\v 75 और हक़ूक़ और उसका 'इलाक़ा, और रहोब और उसका 'इलाक़ा।
\v 76 और नफ़्ताली के क़बीले में से क़ादिस और उसका 'इलाक़ा गालील में, और हम्मून और उसकी नवाही, क़रयताइम और उसका 'इलाक़ा, मिला।
\s5
\v 77 बाक़ी लावियों, या'नी बनी मिरारी को ज़बूलून के क़बीले में से रिम्मोन और उसकी नवाही, और तबूर और उसका 'इलाक़ा,
\v 78 यरीहू के नज़दीक यरदन के पार या'नी यरदन की पूरब की तरफ़, रूबिन के क़बीले में से वीरान में बसर और उसका 'इलाक़ा, और यहसा और उसका 'इलाक़ा;
\v 79 और क़दीमात और उसका 'इलाक़ा, और मिफ़'अत और उसका 'इलाक़ा;
\s5
\v 80 और जद्द के क़बीले में से रामात और उसका 'इलाक़ा, जिल'आद में, और महनायम और उसका 'इलाक़ा,
\v 81 और हस्बोन और उसका 'इलाक़ा, और या'ज़ेर और उसका 'इलाक़ा मिली
\s5
\c 7
\s इश्कार का नसबनामा
\p
\v 1 और बनी इश्कार यह हैं: तोला' और फ़ुव्वा और यसूब और सिमरोन, यह चारों।
\v 2 और बनी तोला':'उज़्ज़ी और रिफ़ायाह और यरीएल और यहमी और इबसाम और समुएल, जो तोला' या'नी अपने आबाई ख़ानदानों के सरदार थे। वह अपने ज़माने में ताक़तवर सूर्मा थे और दाऊद के दिनों में उनका शुमार बाइस हज़ार छ: सौ था।
\v 3 और 'उज़्ज़ी का बेटा इज़राख़ियाह और इज़राख़ियाह के बेटे यह हैं: मीकाएल और 'अबदियाह और यूएल और यसय्याह यह पाँचों यह सब के सब सरदार थे।
\s5
\v 4 और उनके साथ अपनी अपनी पुश्त और अपने अपने आबाई ख़ानदान के मुताबिक़ जंगी लश्कर के दल थे जिन में छत्तीस हज़ार जवान थे क्यूँकि उनके यहाँ बहुत सी बीवियाँ और बेटे थे।
\v 5 और उनके भाई इश्कार के सब घरानों में ताक़तवर सूर्मा थे और नसब नामे के हिसाब के मुताबिक़ कुल सत्तासी हज़ार थे।
\s बिनयमीन का नसबनामा
\s5
\p
\v 6 और बनी बिनयमीन यह हैं: बाला' और बक्र और यदा'एल, यह तीनों
\v 7 और बनी बाला': इसबून और 'उज़्ज़ी और 'उज़्ज़ीएल और यरीमोत और 'ईरी, यह पाँचों। यह अपने आबाई ख़ानदानों के सरदार और ताक़तवर सूर्मा थे और नसब नामे के हिसाब के मुताबिक़ बाइस हज़ार चौंतीस थे।
\s5
\v 8 और बनी बक्र यह हैं: ज़मीरा और यूआस और एलियाज़र और इलीयू'ऐनी और 'उमरी और यरीमोत और अबियाह और 'अन्तोत और 'अलामत यह सब बक्र के बेटे थे।
\v 9 इनकी नसल के लोग नसबनामे के मुताबिक़ बीस हज़ार दो सौ ताक़तवर सूर्मा और अपने आबाई ख़ानदानों के सरदार थे।
\v 10 और यदा'एल का बेटा: बिलहान था। और बनी बिलहाँ यह हैं: य'ओस और बिनयमीन और अहूद और कना'ना और ज़ैतान और तरसीस और अख़ीसहर।
\s5
\v 11 यह सब यदा'एल के बेटे जो अपने आबाई ख़ानदानों के सरदार और ताक़तवर सूर्मा थे, सत्तरह हज़ार दो सौ थे जो लश्कर के साथ जंग पर जाने के लायक़ थे।
\v 12 और सुफ़्फ़ीम और हुफ़्फ़ीम 'ईर के बेटे, और हाशीम इहीर का बेटा।
\s नफ़्ताली का नसबनामा
\s5
\p
\v 13 बनी नफ़्ताली यह हैं: यहसीएल और जूनी और यिस्र और सलूम बनी बिल्हा।
\s मनस्सी का नसबनामा
\s5
\p
\v 14 बनी मनस्सी यह हैं: असरीएल और उसकी बीवी के बत्न से था उसकी अरामी हरम से जिल'आद का बाप मकीर पैदा हुआ।
\v 15 और मकीर ने हफ़्फ़ीम और सुफ़्फ़ीम की बहन जिसका नाम मा'का था ब्याह लिया और दूसरे का नाम सिलाफ़हाद था, और सिलाफ़ हाद के पास बेटियां थीं।
\v 16 और मकीर की बीवी मा'का के एक बेटा पैदा हुआ उसने उसका नाम फ़रस रख्खा और उसके भाई का नाम शरस था, और उसके बेटे औलाम रक़म थे।
\s5
\v 17 और औलाम का बेटा बिदान था, यह जिल'आद बिन मकीर बिन मनस्सी के बेटे थे।
\v 18 और उसकी बहन हम्मोलिकत से इशहूद और अबी'अएज़र और महला पैदा हुआ।
\v 19 बनी समीदा यह हैं: अख़ियान और सिकम और लिक़ही और अनि'आम।
\s इफ़्राईम का नसबनामा
\s5
\p
\v 20 और बनी इफ़्राईम यह हैं: सुतलह, सुतलाह का बेटा बरद, बरद का बेटा तहत, तहत का बेटा इली'अदा, इली'अदा का बेटा तहत,
\v 21 तहत का बेटा ज़बद, ज़बद का बेटा सूतलाह था और 'अज़र और इली'अद भी, जिनको जात के लोगों ने, जो उस मुल्क में पैदा हुए थे, मार डाला क्यूँकि वह उनकी मवैशी ले जाने को उतर आये थे।
\v 22 और उनका बाप इफ़्राईम बहुत दिनों तक मातम करता रहा, और उसके भाई तसल्ली देने को आये।
\s5
\v 23 और वह अपनी बीवी के पास गया और वह हामला हुई और उसके एक बेटा पैदा हुआ और इफ़्राईम ने उसका नाम बरि'आ रख्खा क्यूँकि उसके घर पर आफ़त आई थी।
\v 24 और उसकी बेटी सराह थी, जिसने नशेब और फ़राज़ के बैतहोरून और ऊज़िन सराह को बनाया।
\s5
\v 25 और उसका बेटा रफ़ाह और रसफ़ भी और उसका बेटा तलाह, और तलाह का बेटा तहन,
\v 26 तहन का बेटा ला'दान, ला'दान का बेटा 'अम्मीहूद, 'अम्मीहूद का बेटा इलीसमा'अ,
\v 27 इलीसमा'अ का बेटा नून, नून का बेटा यहूसू'अ।
\s5
\v 28 और उनकी मिल्कियत और बस्तियां यह हैं: बैतएल और उसके देहात, और मशरिक़ की तरफ़ ना'रान, और मग़रिब की तरफ़ जज़र और उसके देहात, और सिकम भी और उसके देहात, 'अय्याह और उसके देहात तक;
\v 29 और बनी मनस्सी की हुदूद के पास बैतशान और उसके देहात, ता'नक और उसके देहात, मजिद्दो और उसके देहात, दोर और उसके देहात थे। इनमें यूसुफ़ बिन इस्राईल के बेटे रहते थे।
\s5
\v 30 बनी आशर यह हैं: यिमना और इस्वाह और इसवी और बरि'आ, और उनकी बहन सिरह।
\v 31 और बरि'आ के बेटे: हिबर बिरज़ावीत का बाप मलकिएल थे।
\v 32 और हिबर से यफ़लीत और सोमिर और ख़ूताम, और उनकी बहन सू'अ पैदा हुए।
\s5
\v 33 और बनी यफ़लीत:फ़ासाक और और बिमहाल और 'असवात; यह बनी यफ़लीत हैं।
\v 34 और बनी सामिर: अख़ी और रूहजा और यहुब्बा और आराम थे।
\v 35 और उसके भाई हीलम के बेटे: सूफ़ह और इमना' और सलस और 'अमल थे।
\s5
\v 36 और बनी सूफ़ह: सूह और हरनफ़र और सू'अल और बेरी और इमराह,
\v 37 बसर और हुद और सम्मा और सिलसा और इतरान और बैरा थे।
\v 38 और बनी यतर: युफ़न्ना और फ़िसफ़ाह और अरा थे।
\s5
\v 39 और बनी 'उल्ला:अरख़ और हनीएल और रिज़ियाह थे।
\v 40 यह सब बनी आशार, अपने आबाई ख़ानदानों के, चुने हुए रईस और ताक़तवर सूर्मा और अमीरों के सरदार थे। उन में से जो अपने नसबनामे के मुताबिक़ जंग करने के लायक़ थे वह शुमार में छब्बीस हज़ार जवान थे।
\s5
\c 8
\s बिनयमीन का नसबनामा
\p
\v 1 और बिनयमीन से उसका पहलौठा बाला' पैदा हुआ, दूसरा और अशबेल, तीसरा अख़िरख़,
\v 2 चौथा नूहा और पाँचवाँ रफ़ा।
\v 3 औरे बाला' के बेटे अदार और जीरा और अबिहूद,
\v 4 और अबिसू' और ना'मान और अख़ूह,
\v 5 और जीरा और सफ़ूफ़ान और हूराम थे।
\s5
\v 6 और अहूद के बेटे यह हैं यह जिबा' के बाशिंदों के बीच आबाई ख़ानदानों के सरदार थे, और इन्हीं को ग़ुलाम करके मुनाहत को ले गए थे।:
\v 7 या'नी नामान और अखि़याह और और जीरा, यह इनको ग़ुलाम करके ले गया था, और उससे 'उज़्ज़ा और अख़ीहूद पैदा हुए।
\s5
\v 8 और सहरीम से, मोआब के मुल्क में अपनी दोनों बीवियों हुसीम और बा'राह को छोड़ देने के बाद लड़के पैदा हुए,
\v 9 और उसकी बीवी हूदस के बत्न से यूबाब और ज़िबिया और मैसा और मलकाम,
\v 10 और य'ऊज़ और सिक्याह और मिरमा पैदा हुए। यह उसके बेटे थे जो आबाई ख़ानदानों के सरदार थे।
\v 11 और हुसीम से अबीतूब और इलफ़ा'ल पैदा हुए।
\s5
\v 12 और बनी इलफ़ा'ल:इब्र और मिश'आम और सामिर थे। इसी ने ओनू और लुद और उसके देहात को आबाद किया।
\v 13 और बरि'आ और समा' भी जो अय्यालोन के बाशिंदों के दरमियान आबाई ख़ानदानों के सरदार थे और जिन्होंने जात के बाशिंदों को भगा दिया।
\s5
\v 14 और अख़ियो, शाशक़ और यरीमोत,
\v 15 और ज़बदियाह और 'अराद और 'अदर,
\v 16 और मीकाएल और इस्फ़ाह और यूख़ा, जो बनी बरि'आ हैं।
\v 17 और ज़बदयाह और मुसल्लाम और हिज़क़ी और हिबर,
\v 18 और यसमरी और यज़लियाह और यूबाब जो बनी इलफ़ा'ल हैं।
\s5
\v 19 और यक़ीम और ज़िकरी और ज़ब्दी,
\v 20 और इलिऐनी और ज़लती और इलीएल,
\v 21 और 'अदायाह और बरायाह और सिमरात, जो बनी सम'ई हैं।
\s5
\v 22 और इसफ़ान और इब्र और इलीएल,
\v 23 और 'अबदोन और ज़िकरी और हनान,
\v 24 औरे हनानियाह और ऐलाम और अंतूतियाह,
\v 25 और यफ़दियाह और फ़नूएल, जो बनी शाशक़ हैं।
\s5
\v 26 और समसरी और शहारियाह और 'अतालियाह,
\v 27 और या'रसियाह और एलियाह और ज़िकरी जो बनी यरोहाम हैं।
\v 28 यह अपनी नसलों में आबाई ख़ानदानों के सरदार और रईस थे और येरूशलेम में रहते थे।
\s5
\v 29 और जिबा'ऊन में जिबा'ऊन का बाप रहता था, जिसकी बीवी का नाम मा'का था।
\v 30 और उसका पहलौठा बेटा 'अबदोन, और सूर और क़ीस, और बा'ल और नदब,
\v 31 और जदूर और अख़ियो और ज़कर,
\s5
\v 32 और मिक़लोत से सिमाह पैदा हुआ, और वह भी अपने भाइयों के साथ येरूशलेम में अपने भाइयों के सामने रहते थे।
\v 33 और नयिर से क़ीस पैदा हुआ, क़ीस से साऊल पैदा हुआ, और साऊल से यहूनतन और मलकीशू और अबीनदाब और इशबा'ल पैदा हुए;
\v 34 और यहूनतन का बेटा मरीबबा'ल था, मरीबबा'ल से मीकाह पैदा हुआ।
\s5
\v 35 और बनी मीकाह: फ़ीतूँ और मलिक और तारी' और आख़ज़ थे।
\v 36 और आख़ज़ से यहू'अदा पैदा हुआ, और यहू'अदा से 'अलमत और 'अज़मावत और ज़िमरी पैदा हुए; और ज़िमरी से मौज़ा पैदा हुआ।
\v 37 और मौज़ा से बिन'आ पैदा हुआ; बिन'आ का बेटा राफ़ा', राफ़ा' का बेटा इलि, आसा, और इलि, आसा का बेटा असील,
\s5
\v 38 और असील के छ: बेटे थे जिनके नाम यह हैं: 'अज़रिक़ाम, बोकिरू, और इस्मा'ईल और सग़रियाह और 'अबदियाह और हनान; यह सब असील के बेटे थे।
\v 39 और उसके भाई 'ईशक़ के बेटे यह हैं: उसका पहलौठा औलाम दूसरा य'ओस, तीसरा इलिफ़ालत।
\v 40 और औलाम के बेटे ताक़तवर सूर्मा और तीरंदाज़ थे, और उसके बहुत से बेटे और पोते थे जो डेढ़ सौ थे। यह सब बनी बिन यमीन में से थे।
\s5
\c 9
\p
\v 1 फिर सारा इस्राईल नसबनामों के मुताबिक़ जो इस्राईल के बादशाहों की किताब में दर्ज हैं गिना गया
\s जिला वतनी का लौटना
\p और यहूदाह अपने गुनाहों की वजह से ग़ुलाम हो के बाबुल गया।
\v 2 और वह जो पहले अपनी मिल्कियत और अपने शहरों में बसे वह इस्राईल और काहिन और लावी और नतनीम थे।
\v 3 और येरूशलेम में बनी यहूदाह से और बनी बिनयमीन में से और बनी इफ़्राईम और मनस्सी में से यह लोग रहने लगे या'नी।
\s5
\v 4 'ऊती बिन 'अम्मीहूद बिन 'उमरी बिन इमरी बिन बानी जो फ़ारस बिन यहूदाह की औलाद में से था।
\v 5 और सैलानियों में से 'असायाह, जो पहलौठा था, और उसके बेटे।
\v 6 और बनी ज़ारह में से, य'ऊएल और उनके छ: सौ नव्वे भाई।
\s5
\v 7 और बनी बिन यमीन में से सल्लू बिन मुसल्लाम बिन हुदावियाह बिन हसीनुवाह,
\v 8 और इब नियाह बिन यरुहाम औरे ऐला बिन 'उज़्ज़ी बिन मिकरी और मुसल्लाम बिन सफ़तियाह बिन र'ऊएल बिन इबनियाह,
\v 9 और उनके भाई जो अपने नसबनामों के मुताबिक़ नौ सौ छप्पन थे। यह सब आदमी अपने अपने आबाई ख़ानदान के आबाई ख़ानदानों के सरदार थे।
\s5
\v 10 और काहिनों में से यद'अइयाह और यहुयरीब और यकीन,
\v 11 और अज़रियाह बिन ख़िलक़ियाह बिन मुसल्लाम बिन सदोक़ बिन मिरायोत बिन अख़ितोब, जो ख़ुदा के घर का नाज़िम था।
\s5
\v 12 और 'अदायाह बिन यरोहाम बिन फ़शहूर बिन मलकियाह, और मासी बिन 'अदीएल बिन याहज़ीराह बिन मुसल्लाम बिन मुसलमीत बिन इम्मेर,
\v 13 और उनके भाई अपने आबाई ख़ानदानों के रईस एक हज़ार सात सौ आठ थे जो ख़ुदा के घर की ख़िदमत के काम के लिए बड़े क़ाबिल आदमी थे।
\s5
\v 14 और लावियों में से यह थे: समा'याह बिन हसूब बिन 'अज़रिक़ाम बिन हसबियाह बनी मिरारी में से,
\v 15 और बक़बक़र, हरस और जलाल और मतनियाह बिन मीकाह बिन ज़िकरी बिन आसफ़,
\v 16 और 'अबदियाह बिन समा'याह बिन जलाल बिन यदूतून, और बरकियाह बिन आसा बिन इल्क़ाना, जो नतूफ़ातियों के देहात में बस गए थे।
\s5
\v 17 और दरबानों में से सलोम और 'अक़्क़ूब और तलमून अख़ीमान और उनके भाई; सलूम सरदार था।
\v 18 वह अब तक शाही फाटक पर मशरिक़ की तरफ़ रहे। बनी लावी की छावनी के दरबान यही थे।
\v 19 और सलोम बिन क़ोरे बिन अबी आसफ़ बिन क़ोरह और उसके आबाई ख़ानदान के भाई या'नी क़ोरही, ख़िदमत की कारगुज़ारी पर त'इनात थे, और ख़ेमे के फाटकों के निगहबान थे। उनके बाप दादा ख़ुदावन्द की लश्कर गाह पर तैनात और मदख़ल के निगहबान थे।
\s5
\v 20 और फ़ीनहास बिन इली'एलियाज़र इस से पहले उनका सरदार था, और ख़ुदावन्द उसके साथ था।
\v 21 ज़करियाह बिन मुसलमियाह ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े का निगहबान था।
\s5
\v 22 यह सब जो फाटकों के दरबान होने को चुने गए दो सौ बारह थे। यह जिनको दाऊद और समुएल ग़ैब बीन ने इनको ओहदे पर मुक़र्रर किया था अपने नसबनामे के मुताबिक़ अपने अपने गाँव में गिने गए थे।
\v 23 फिर वह और उनके बेटे ख़ुदावन्द के घर या'नी मसकन के घर के फाटकों की निगरानी बारी बारी से करते थे।
\v 24 और दरबान चारों तरफ़ थे या'नी पूरब, पश्चिम, उत्तर, और दखखिन की तरफ़।
\s5
\v 25 और उनके भाई जो अपने अपने गाँव में थे उनको सात सात दिन के बाद बारी — बारी उनके साथ रहने को आना पड़ता था।
\v 26 क्यूँकि चारों सरदार दरबान जो लावी थे ख़ास ओहदों पर मुक़रर्र थे और ख़ुदा के घर की कोठरियों और ख़ज़ानों पर मुक़र्रर थे।
\v 27 और वह ख़ुदा के घर के आस — पास रहा करते थे क्यूँकि उसकी निगहबानी उनके ज़िम्मे थी और हर सुबह को उसे खोलना उनके ज़िम्मे था।
\s5
\v 28 और उनमें से कुछ की तहवील में 'इबा'दत के बर्तन थे क्यूँकि वह उनको गिन कर अन्दर लाते और गिन कर निकालते थे।
\v 29 और कुछ उनमें से सामान और मक़्दिस के सब बर्तनों और और मैदा और मय और तेल और लुबान और ख़ुशबूदार मसाल्हे पर मुक़र्रर थे।
\s5
\v 30 और काहिनों के बेटों में से कुछ ख़ुशबूदार मसाल्हे का तेल तैयार करते थे।
\v 31 और लावियों में से एक शख़्स मत्तितियाह जो क़ुरही सलूम का पहलौठा था, उन चीज़ों पर ख़ास तौर पर मुक़र्रर था जो तवे पर पकाई जाती थीं।
\v 32 और उनके कुछ भाई जो क़िहातियों की औलाद में से थे, नज़्र की रोटियों पर तैनात थे कि हर सब्त को उसे तैयार करें।
\s5
\v 33 और यह वह हम्द करने वाले हैं जो लावियों के आबाई ख़ानदानों के सरदार थे और कोठरियों में रहते और और ख़िदमत से मा'ज़ूर थे, क्यूँकि वह दिन रात अपने काम में मशग़ूल रहते थे।
\v 34 यह अपनी अपनी नसलों में लावियों के आबाई ख़ानदानों के सरदार और रईस थे; और येरूशलेम में रहते थे।
\s5
\v 35 और जिबा'ऊन में जिबा'ऊन का बाप य'ईएल रहता था, जिसकी बीवी का नाम मा'का था,
\v 36 और उसका पहलौठा बेटा 'अबदोन, और सूर और क़ीस और बा'ल और नयिर और नदब,
\v 37 और जदूर और अख़ियो और ज़करियाह और मिक़लोत;
\s5
\v 38 मिक़लोत से सिम'आम पैदा हुआ, और वह भी अपने भाइयों के साथ येरूशलेम में अपने भाइयों के सामने रहते थे।
\v 39 और नयिर से क़ीस पैदा हुआ और क़ीस से साऊल पैदा हुआ और साऊल से यूनतन और मलकीशू'अ और अबीनदाब और इशबा'ल पैदा हुए।
\v 40 और यूनतन का बेटा मरीबबा'ल था और मरीबबा'ल से मीकाह पैदा हुआ।
\s5
\v 41 और मीकाह के बेटे फ़ीतून और मलिक और तहरी' और आख़ज़ थे;
\v 42 और आख़ज़ से या'रा पैदा हुआ, और या'रा से 'अलमत और अज़मावत और ज़िमरी पैदा हुए, और ज़िमरी से मौज़ा पैदा हुआ।
\v 43 और मौज़ा से बिन'आ पैदा हुआ, बिन'आ का बेटा रिफ़ायाह, रिफ़ायाह का बेटा इलि, आसा, इली'असा का बेटा असील,
\v 44 और असील के छ: बेटे थे और यह उनके नाम हैं: 'अज़रक़ाम, बोकिरू, और इस्मा'ईल और सग़रियाह और 'अबदियाह और हनान, यह बनी असील थे।
\s5
\c 10
\s बादशाह साऊल की मौत
\p
\v 1 और फ़िलिस्ती इस्राईल से लड़े और इस्राईल के लोग फ़िलिस्तियों के आगे से भागे और पहाड़ी जिल्बू'आ में क़त्ल हो कर गिरे।
\v 2 और फ़िलिस्तियों ने साऊल का और उसके बेटों का ख़ूब पीछा किया और फ़िलिस्तियों ने यूनतन और अबीनदाब और मलकीशू'अ को जो साऊल के बेटे थे क़त्ल किया।
\v 3 और साऊल पर जंग दोबर हो गयी और तीरंदाज़ों ने उसे पा लिया और वह तीरंदाज़ों की वजह से परेशान था।
\s5
\v 4 तब साऊल ने अपने सिलाहबरदार से कहा, “अपनी तलवार खींच और उससे मुझे छेद दे ऐसा न हो कि यह नामख़्तून आकर मेरी बे 'इज़्ज़ती करें।” लेकिन उसके सिलाहबरदार ने न माना, क्यूँकि वह बहुत डर गया। तब साऊल ने अपनी तलवार ली और उस पर गिरा।
\s5
\v 5 जब उसके सिलाहबरदार ने देखा कि साऊल मर गया तो वह भी तलवार पर गिरा और मर गया।
\v 6 तब साऊल मर गया और उसके तीनों बेटे भी और उसका सारा ख़ानदान एक साथ मर मिटा।
\s5
\v 7 जब सब इस्राईली लोगों ने जो वादी में थे देखा कि लोग भाग निकले और साऊल और उसके बेटे मर गए हैं, तो वह अपने शहरों को छोड़कर भाग गए और फ़िलिस्ती आकर उनमें बसे।
\v 8 और दूसरे दिन सुबह को जब फ़िलिस्ती मक़्तूलों को नंगा करने आये, तो उन्होंने साऊल और उसके बेटों को कोहे जिल्बू'आ पर पड़े पाया।
\s5
\v 9 तब उन्होंने उसको नंगा किया और उसका सिर और उसके हथियार ले लिए, और फ़िलिस्तियों के मुल्क में चारों तरफ़ लोग रवाना कर दिए ताकि उनके बुतों और लोगों के पास उस ख़ुशख़बरी को पहुँचायें।
\v 10 और उन्होंने उसके हथियारों को अपने मा'बूदों के मंदिर में रख्खा और उसके सिर को दजून के मंदिर में लटका दिया।
\s5
\v 11 जब यबीस जिल'आद के सब लोगों ने, जो कुछ फ़िलिस्तियों ने साऊल से किया था सुना।
\v 12 तो उनमें के सब बहादुर उठे और साऊल की लाश और उसके बेटों की लाशें लेकर उनको यबीस में लाये, और उनकी हड्डियों को यबीस के बलूत के नीचे दफ़्न किया और सात दिन तक रोज़ा रख्खा।
\s5
\v 13 फिर साऊल अपने गुनाह की वजह से, जो उसने ख़ुदावन्द के सामने किया था मरा; इसलिए कि उसने ख़ुदावन्द की बात न मानी, और इसलिए भी कि उससे मशविरा किया जिसका यार जिन्न था, ताकि उसके ज़रि'ए से दरियाफ़्त करे।
\v 14 और उसने ख़ुदावन्द से दरियाफ़्त न किया। इसलिए उसने उसको मार डाला और हुकूमत यस्सी के बेटे दाऊद की तरफ़ बदल दी।
\s5
\c 11
\s दाऊद का पुरे इस्राईल का बादशाह बनना
\p
\v 1 तब सब इस्राईली हबरून में दाऊद के पास जमा' होकर कहने लगे, देख हम तेरी ही हड्डी और तेरा ही गोश्त हैं।
\v 2 और गुज़रे ज़माने में उस वक़्त भी जब साऊल बादशाह था, तू ही ले जाने और ले आने में इस्राईलियों का रहबर था; और ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझे फ़रमाया, “तू मेरी क़ौम इस्राईल की गल्लेबानी करेगा, और तू ही मेरी क़ौम इस्राईल का सरदार होगा।”
\v 3 ग़रज़ इस्राईल के सब बुज़ुर्ग हबरून में बादशाह के पास आये, और दाऊद ने हबरून में उनके साथ ख़ुदावन्द के सामने 'अहद किया; और उन्होंने ख़ुदावन्द के कलाम के मुताबिक़ जो समुएल की ज़रिए' फ़रमाया था, दाऊद को मम्सूह किया ताकि इस्राईलियों का बादशाह हो।
\s दाऊद का यरूशलेम पर कब्ज़ा करना
\s5
\p
\v 4 और दाऊद और तमाम इस्राईली येरूशलेम को गए यबूस यही है, और उस मुल्क के बाशिंदे यबूसी वहाँ थे।
\v 5 और यबूस के बाशिंदों ने दाऊद से कहा कि तू यहाँ आने न पाएगा तोभी दाऊद ने सिय्यून का क़िला' ले लिया, यही दाऊद का शहर है।
\v 6 और दाऊद ने कहा, “जो कोई पहले यबूसियों को मारे वह सरदार और सिपहसालार होगा।” और योआब बिन ज़रोयाह पहले चढ़ गया और सरदार बना।
\s5
\v 7 और दाऊद क़िले' में रहने लगा, इसलिए उन्होंने उसका नाम दाऊद का शहर रख्खा।
\v 8 और उसने शहर को चारों तरफ़ या'नी मिल्लो से लेकर चारों तरफ़ बनाया और योआब ने बाक़ी शहर की मरम्मत की।
\v 9 और दाऊद तरक़्क़ी पर तरक़्क़ी करता गया, क्यूँकि रब्ब — उल — अफ़वाज उसके साथ था।
\s5
\v 10 और दाऊद के सूर्माओं के सरदार यह हैं, जिन्होंने उसकी हुकूमत में सारे इस्राईल के साथ उसे मज़बूती दी ताकि जैसा ख़ुदावन्द ने इस्राईल के हक़ में कहा था उसे बादशाह बनाएँ।
\v 11 दाऊद के सूर्माओं का शुमार यह है: यसुबि'आम बिन हकमूनी जो तीसों का सरदार था। उने तीन सौ पर अपना भाला चलाया और उनको एक ही वक़्त में क़त्ल किया।
\s5
\v 12 उसके बाद अखूही दोदो का बेटा एलियाज़र था जो उन तीनों सूर्माओं में से एक था।
\v 13 वह दाऊद के साथ फ़सदम्मीम में था जहाँ फ़िलिस्ती जंग करने को जमा' हुए थे। वहाँ ज़मीन का टुकड़ा जौ से भरा हुआ था, और लोग फ़िलिस्तियों के आगे से भागे।
\v 14 तब उन्होंने उस ज़मीन क्व टुकड़े के बीच में खड़े हो कर उसे बचाया और फ़िलिस्तियों को क़त्ल किया और ख़ुदावन्द ने बड़ी फ़तह देकर उनको रिहा बख़्शी।
\s5
\v 15 और उन तीसों सरदारों में से तीन, दाऊद के साथ थे उस चट्टान पर या'नी 'अदूल्लाम के मुग़ारे में उतर गए, और फ़िलिस्तियों की फ़ौज रिफ़ाईम की वादी में ख़ेमाज़न थी।
\v 16 और दाऊद उस वक़्त गढ़ी में था और फ़िलिस्तियों की चौकी उस वक़्त बैतलहम में थी।
\v 17 और दाऊद ने तरस कर कहा, “ऐ काश कोई बैतलहम के उस कुँए का पानी जो फाटक के क़रीब है, मुझे पीने को देता!”
\s5
\v 18 तब वह तीनों फ़िलिस्तियों की सफ़ तोड़ कर निकल गए और बैतलहम के उस कुँए में से जो फाटक के क़रीब है पानी भर लिया और उसे दाऊद के पास लाये लेकिन दाऊद ने न चाहा कि उसे पिए बल्कि उसे ख़ुदावन्द के लिए तपाया।
\v 19 और कहने लगा कि ख़ुदा न करे कि मैं ऐसा करूँ। क्या मैं इन लोगों का ख़ून पियूँ जो अपनी जानों पर खेले हैं? क्यूँकि वह जानबाज़ी कर के उसको लाये हैं। तब उसने न पिया। वह तीनों सूर्मा ऐसे ऐसे काम करते थे।
\s5
\v 20 और योआब का भाई अबीशै तीनों का सरदार था। उसने तीन सौ पर भाला चलाया और उनको मार डाला। वह इन तीनों में मशहूर था।
\v 21 यह तीनों में उन दोनों से ज़्यादा ख़ास था और उनका सरदार बना, लेकिन उन पहले तीनों के दर्जे को न पहुँचा।
\s5
\v 22 और बिनायाह बिन यहूयदा' एक क़बज़िएली सूर्मा था जिसने बड़ी बहादुरी के काम किये थे; उसने मोआब के अरिएल के दोनों बेटों को क़त्ल किया, और जाकर बर्फ़ के मौसम में एक गढ़े के बीच एक शेर को मारा।
\v 23 और उसने पाँच हाथ के एक क़दआवर मिस्री को क़त्ल किया हालाँकि उस मिस्री के हाथ में जुलाहे के शहतीर के बराबर एक भाला था, लेकिन वह एक लाठी लिए हुए उसके पास गया और भाले को उस मिस्री के हाथ से छीन कर उसी के भाले से उसको क़त्ल किया।
\s5
\v 24 यहुयदा के बेटे बिनायाह ने ऐसे ऐसे काम किये और वह उन तीनों सूर्माओं में नामी था।
\v 25 वह उन तीसों से मु'अज़्ज़िज़ था, लेकिन पहले तीनों के दर्जे को न पहुँचा। और दाऊद ने उसे मुहाफ़िज़ सिपाहियों का सरदार बनाया।
\s5
\v 26 और लश्करों में सूर्मा यह थे: योआब का भाई 'असाहेल और बैतलहमी दोदो का बेटा इल्हनान,
\v 27 और सम्मोत हरूरी, ख़लिसफ़लूनी,
\v 28 तक़ू'अ, 'इक़्क़ीस, का बेटा 'ईरा, अबी'अज़र 'अन्तोती,
\v 29 सिब्बकी हुसाती, 'एली अखूही,
\s5
\v 30 महरी नतूफ़ाती, हलिद बिन बा'ना नतूफ़ाती,
\v 31 बनी बिनयमीन के जिब'आ के रीबी का बेटा इत्ती, बिनायाह फ़िर'आतोनी,
\v 32 जा'स की नदियों का बाशिंदा हूरी, अबीएल 'अरबाती,
\v 33 'अज़मावत बहरूमी, इलीयाब सा'लबूनी,
\s5
\v 34 बनी हशीम जिज़ूनी, हरारी शजी का बेटा यूनतन,
\v 35 और हरारी सक्कार का बेटा अख़ीआम, इलिफ़ाल बिन ऊर,
\v 36 हिफ़्र मकीराती, अखि़याह फ़लूनी,
\v 37 हसरू कर्मिली, नग़री बिन अज़बी,
\s5
\v 38 नातन कला भाई यूएल, मिबख़ार बिन हाजिरी,
\v 39 सिलक़ 'अम्मूनी, नहरी बैरोती जो योआब बिन ज़रोयाह का सिलाहबरदार था,
\v 40 'ईरा ईत्री, जरीब इतरी,
\v 41 ऊरिय्याह हित्ती, ज़बद बिन अख़ली,
\s5
\v 42 सीज़ा रुबीनी का बेटा 'अदीना रूबीनियों का एक सरदार जिसके साथ तीस जवान थे,
\v 43 हनान बिन मा'का, यहूसफ़त मितनी,
\v 44 'उज़्ज़ियाह 'इस्ताराती, ख़ूताम 'अरो'ईरी के बेटे समा'अ और य'ईएल,
\s5
\v 45 यदी'एलबिन सिमरी और उसका भाई यूख़ा तीसी,
\v 46 इलीएल महावी, और इलनाम के बेटे यरीबी और यूसावियाह, और यितमा मोआबी,
\v 47 इलीएल, और 'ओबेद, और या'सीएल मज़ूबाई।
\s5
\c 12
\s फ़ौजियों का दाऊद की फ़ौज में मिलना
\p
\v 1 यह वह हैं जो सिक़लाज में दाऊद के पास आये जब कि वह हनूज़ क़ीस के बेटे साऊल की वजह से छिपा रहता था, और उन सूर्माओं में थे जो लड़ाई में उसके मददगार थे।
\v 2 उनके पास कमाने थीं, और वह गु़फान से पत्थर मारते और कमान से तीर चलाते वक़्त दहने और बाएं दोनों हाथों को काम में ला सकते थे और साऊल के बिनयमीनी भाइयों में से थे।
\s5
\v 3 अख़ी'अज़र सरदार था। फिर यूआस बनी समा'आ जिब'आती और यज़ीएल और फ़लत जो अज़मावत के बेटे थे और बराक और याहू 'अन्तोती,
\v 4 और इसमा'ईया जिबा'ऊनी जो तीसों में सूर्मा और तीसों का सरदार था; और यरमियाह और यहज़ीएल और युहनान और यूज़बा'द जदीराती,
\s5
\v 5 इल'ओज़ी और यरीमोत और बा'लियाह और समरियाह और सफ़तियाह ख़रूफ़ी,
\v 6 इलक़ाना और यसियाह और 'अज़रिएल और यू'अज़र और यसुबि'आम जो क़ुरही थे।
\v 7 और यू'ईला और ज़बदियाह जो यरोहाम जदूरी के बेटे थे।
\s5
\v 8 और जद्दियों में से बहुत से अलग होकर बियाबान के क़िले में दाऊद के पास आ गए; वह ताक़तवर सूर्मा और जंग में माहिर लोग थे, जो ढाल और बर्छी का इस्ते'माल जानते थे। उनकी सूरतें ऐसीं थीं जैसी शेरों की सूरतें और वह पहाड़ों पर हिरनियों की तरह तेज़ दौड़ते थे:
\s5
\v 9 अव्वल 'अज़र था, 'अबदियाह दूसरा, इलियाब तीसरा,
\v 10 मिसमन्ना चौथा, यरमियाह पाँचवाँ,
\v 11 'अत्ती छठा, इलीएल सातवाँ,
\v 12 यूहनान आठवाँ, इलज़बा'द नवाँ,
\v 13 यरमियाह दसवाँ, मकबानी ग्यारहवाँ।
\s5
\v 14 यह बनी जद्द में सरलश्कर थे। इनमें सबसे छोटा सौ के बराबर और सबसे बड़ा हज़ार के बराबर था।
\v 15 यह वह हैं जो पहले महीने में यरदन के पार गए जब उसके सब किनारे डूबे हुए थे और उन्होंने वादियों के सब लोगों को पूरब और पश्चिम की तरफ़ भगा दिया।
\s5
\v 16 बनी बिनयमीन और यहूदाह में से कुछ लोग क़िले' में दाऊद के पास आये।
\v 17 तब दाऊद उनके इस्तक़बाल को निकला और उनसे कहने लगा, “अगर तुम नेक नियती से मेरी मदद के लिए मेरे पास आये हो तो मेरा दिल तुमसे मिला रहेगा लेकिन अगर मुझे मेरे दुश्मनों के हाथ में पकड़वाने आये हो हालाँकि मेरा हाथ ज़ुल्म से पाक है तो हमारे बाप दादा का ख़ुदा यह देखे और मलामत करे।”
\s5
\v 18 तब रूह 'अमासी पर नाज़िल हुई और जो उन तीसों का सरदार था और वह कहने लगा, “हम तेरे हैं, ऐ दाऊद! और हम तेरी तरफ़ हैं, ऐ यस्सी के बेटे! सलामती तेरी सलामती, और तेरे मददगारों की सलामती हो, क्यूँकि तेरा ख़ुदा तेरी मदद करता है।” तब दाऊद ने उनको क़ुबूल किया और उनको फ़ौज का सरदार बनाया।
\s5
\v 19 और मनस्सी में से कुछ लोग दाऊद से मिल गए जब वह साऊल के मुक़ाबिल जंग के लिए फ़िलिस्तियों के साथ निकला, लेकिन उन्होंने उनकी मदद न की क्यूँकि फ़िलिस्तियों के हाकिमों ने सलाह कर के उसे लौटा दिया और कहने लगे कि वह हमारे सिर काटकर अपने आक़ा साऊल से जा मिलेगा।
\v 20 जब वह सिक़लाज को जा रहा था मनस्सी में से 'अदना और यूज़बा'द और यदी'एल और मीकाएल और यूज़बा'द और इलीहू और ज़िलती जो बनी मनस्सी में हज़ारों के सरदार थे उससे मिल गए।
\s5
\v 21 उन्होंने ग़ारतगरों के जत्थे के मुक़ाबिले में दाऊद की मदद की क्यूँकि वह सब ताक़तवर सूर्मा और लश्कर के सरदार थे।
\v 22 बल्कि रोज़ — ब — रोज़ लोग दाऊद के पास उसकी मदद को आते गए, यहाँ तक कि ख़ुदा की फ़ौज की तरह एक बड़ी फ़ौज तैयार हो गयी।
\s5
\v 23 और जो लोग जंग के लिए हथियार बाँध कर हबरून में दाऊद के पास आये ताकि ख़ुदावन्द की बात के मुताबिक़ साऊल की ममलुकत को उसकी तरफ़ बदल दें, उनका शुमार यह है।
\v 24 बनी यहूदाह छ: हज़ार आठ सौ, जो ढाल और नेज़ा लिए हुए जंग के लिए तैयार थे।
\v 25 बनी शमौन में से जंग के ले लिए सात हज़ार एक सौ ताक़तवर सूर्मा'
\s5
\v 26 बनी लावी में से चार हज़ार छ: सौ।
\v 27 और यहूयदा' हारून के घराने का सरदार था और उसके साथ तीन हज़ार सात सौ थे।
\v 28 और सदोक़, एल जवान सूर्मा और उसके आबाई घराने के बाइस सरदार।
\s5
\v 29 और साऊल के भाई बनी बिनयमीन में से तीन हज़ार लेकिन उस वक़्त तक उनका बहुत बड़ा हिस्सा साऊल के घराने का तरफ़दार था।
\v 30 और बनी इफ़्राईम में से बीस हज़ार आठ सौ ताक़तवर सूर्मा जो अपने आबाई ख़ानदानों में नामी आदमी थे।
\v 31 और मनस्सी के आधे क़बीले से अठारह हज़ार, जिनके नाम बताये गए थे कि अगर दाऊद को बादशाह बनायें।
\s5
\v 32 और बनी इश्कार में से ऐसे लोग जो ज़माने को समझते और जानते थे कि इस्राईल को क्या करना मुनासिब है उनके सरदार दो सौ थे और उनके सब भाई उनके हुक्म में थे।
\v 33 और ज़बूलून में से ऐसे लोग मैदान में जाने और हर क़िस्म की जंगी हथियार के साथ मैदान ए जंग के क़ाबिल थे, पचास हज़ार। यह सफ़आराई करना जानते थे और दो दिले न थे।
\s5
\v 34 और नफ़्ताली में से एक हज़ार सरदार और उनके साथ सैंतीस हज़ार ढालें और भाले लिए हुए।
\v 35 और दानियों में से अट्ठाईस हज़ार छ: सौ मैदान ए जंग करने वाले।
\s5
\v 36 और आशर में से चालीस हज़ार जो मैदान में जाने और मा'रका आराई के क़ाबिल थे।
\v 37 और यरदन के पार के रुबीनियों और जद्दियों और मनस्सी के आधे क़बीले में से एक लाख बीस हज़ार जिनके साथ लड़ाई के लिए हर क़िस्म के जंगी हथियार थे।
\s5
\v 38 यह सब जंगी मर्द जो मैदान ए जंग कर सकते थे ख़ुलूस — ए — दिल से हबरून को आये ताकि दाऊद को सारे इस्राईल का बादशाह बनायें और बाक़ी सब इस्राईली भी दाऊद को बादशाह बनाने पर रज़ामंद थे।
\v 39 और वह वहाँ दाऊद के साथ तीन दिन तक ठहरे और खाते पीते रहे, क्यूँकि उनके भाइयों ने उनके लिए तैयारी की थी।
\v 40 इसकेअलावा इनके जो उनके क़रीब के थे बल्कि इश्कार और ज़बूलून और नफ़्ताली तक के लोग गधों और ऊँटों और ख़च्चरों और बैलों पर रोटियाँ और मैदे की बनी हुई खाने की चीज़ें और अंजीर की टिकियाँ। और किशमिश के गुच्छे और शराब और तेल लादे हुए और बैल और भेड़ बकरियाँ इफ़रात से लाये इसलिए कि इस्राईल में ख़ुशी थी।
\s5
\c 13
\s दाऊद का सन्दुक को ले जाने की कोशीश
\p
\v 1 और दाऊद उन सरदारों से जो हज़ार हज़ार और सौ सौ पर थे या'नी हर एक लश्कर के शख़्स से सलाह ली।
\v 2 और दाऊद ने इस्राईल की सारी जमा'अत से कहा कि अगर आप को पसंद हो और ख़ुदावन्द की मर्ज़ी हो तो आओ हम हर जगह इस्राईल के सारे मुल्क में अपने बाक़ी भाइयों को जिनके साथ काहिन और लावी भी अपने नवाहीदार शहरों में रहते हैं, कहला भेजें ताकि वह हमारे पास जमा' हों,
\v 3 और हम अपने ख़ुदा के सन्दूक़ फिर अपने पास ले आयें क्यूँकि हम साऊल के दिनों में उसके तालिब न हुए।
\v 4 तब सारी जमा'अत बोल उठे कि हम ऐसा ही करेंगे क्यूँकि यह बात सब लोगों की निगाह में ठीक थी।
\s5
\v 5 तब दाऊद ने मिस्र की नदी सीहूर से हमात के मदख़ल तक के सारे इस्राईल को जमा' किया, ताकि ख़ुदा का सन्दूक़ को क़रयत या'रीम से ले आयें।
\v 6 और दाऊद और सारा इस्राईल बा'ला को या'नी क़रयतया'रीम को जो यहूदाह में है गए, ताकि ख़ुदा के सन्दूक़ को वहाँ ले आयें, जो क़रूबियों पर बैठने वाला ख़ुदावन्द है और इस नाम से पुकारा जाता है।
\s5
\v 7 और वह ख़ुदा के सन्दूक़ को एक नयी पर गाड़ी रख कर अबीनदाब के घर से बाहर निकाल लाये, और 'उज़्ज़ा और अख़ियो गाड़ी को हाँक रहे थे।
\v 8 और दाऊद और सारा इस्राईल, ख़ुदा के आगे बड़े ज़ोर सेहम्द करते और बरबत और सितार और दफ़ और झांझ और तुरही बजाते चले आते थे।
\s5
\v 9 और जब वह कीदून के खलिहान पर पहुँचे, तो 'उज़्ज़ा ने सन्दूक़ के थामने को अपना बढ़ाया, क्यूँकि बैलों ने ठोकर खायी थी।
\v 10 तब ख़ुदावन्द का क़हर 'उज़्ज़ा पर भड़का और उसने उसको मार डाला इसलिए कि उसने अपना हाथ सन्दूक़ पर बढ़ाया था और वह वहीँ ख़ुदा के सामने मर गया।
\v 11 तब दाऊद उदास हुआ, इसलिए कि ख़ुदा 'उज़्ज़ा पर टूट पड़ा और उसने उस मुक़ाम का नाम परज़ 'उज़्ज़ा रख्खा जो आज तक है।
\s5
\v 12 और दाऊद उस दिन ख़ुदा से डर गया और कहने लगा कि मैं ख़ुदा के सन्दूक़ को अपने यहाँ क्यूँ कर लाऊँ?
\v 13 इसलिए दाऊद सन्दूक़ को अपने यहाँ दाऊद के शहर में न लाया बल्कि उसे बाहर ही जाती 'ओबेदअदोम के घर में ले गया
\v 14 तब ख़ुदा का सन्दूक़ 'ओबेदअदोम के घराने के साथ उसके घर में तीन महीने तक रहा, और ख़ुदावन्द ने 'ओबेदअदोम और उसकी सब चीज़ों को बरकत दी।
\s5
\c 14
\s दाऊद का महल और खानदान
\p
\v 1 और सूर के बादशाह हीराम ने दाऊद के क़ासिद और उसके लिए महल बनाने के लिए देवदार के लट्ठे और राजगीर और बढ़ई भेजे।
\v 2 और दाऊद जान गया कि ख़ुदावन्द ने उसे बनी — इस्राईल का बादशाह बना कर क़ाईम कर दिया है, क्यूँकि उसकी हुकूमत उसके इस्राईली लोगों की ख़ातिर मुम्ताज़ की गई थी।
\s5
\v 3 और दाऊद ने येरूशलेम में और 'औरतें ब्याह लीं, और उससे और बेटे बेटियाँ पैदा हुए।
\v 4 और उसके उन बच्चों के नाम जो येरूशलेम में पैदा हुए यह हैं: सम्मू'अ और सोबाब और नातन और सुलेमान,
\v 5 और इब्हार और इलिसू'अ और इलफ़ालत,
\v 6 और नौजा और नफ़ज और यफ़ी'आ,
\v 7 और इलिसमा' और और बा'लयद'अ और इलिफ़ालत।
\s दाऊद का फ़िलिस्ति पर कब्ज़ा करना
\s5
\p
\v 8 और जब फ़िलिस्तियों ने सुना कि दाऊद मम्सूह होकर सारे इस्राईल का बादशाह बना है तो सब फ़िलिस्ती दाऊद की तलाश में चढ़ आये और दाऊद यह सुनकर उनके मुक़ाबिले को निकला।
\v 9 और फ़िलिस्तियों ने आकर रिफ़ाईम की वादी में धावा मारा।
\s5
\v 10 तब दाऊद ने ख़ुदा से सवाल किया, “क्या मैं फ़िलिस्तियों पर चढ़ जाऊँ? क्या तू उनको मेरे हाथ में कर देगा?” ख़ुदावन्द ने उसे फ़रमाया, “चढ़ जा क्यूँकि मैं उनको तेरे हाथ में कर दूँगा।”
\v 11 तब वह बा'ल पराज़ीम में आये और दाऊद ने वहीं उनको मारा और दाऊद ने कहा, “ख़ुदा ने मेरे हाथ से दुश्मनों को ऐसा चीरा, जैसे पानी चाक हो जाता है।” इस वजह से उन्होंने उस मक़ाम का नाम बा'ल पराज़ीम रख्खा।
\v 12 और वह अपने बुतों को वहाँ छोड़ गए, और वह दाऊद के हुक्म से आग में जला दिए गए।
\s5
\v 13 और फ़िलिस्तियों ने फिर उस वादी में धावा मारा।
\v 14 और दाऊद ने फिर ख़ुदा से सवाल किया, और ख़ुदा ने उससे कहा, “तू उनका पीछा न कर, बल्कि उनके पास से कतरा कर निकल जा, और तूत के पेड़ों के सामने से उन पर हमला कर।
\s5
\v 15 और जब तू तूत के दरख़्तों की फुन्गियों पर चलने की जैसी आवाज़ सुने, तब लड़ाई को निकलना क्यूँकि ख़ुदा तेरे आगे आगे फ़िलिस्तियों के लश्कर को मारने के लिए निकला है।”
\v 16 और दाऊद ने जैसा ख़ुदा ने उसे फ़रमाया था किया और उन्होंने फ़िलिस्तियों की फ़ौज को जिबा'ऊन से जज़र तक क़त्ल किया।
\v 17 और दाऊद की शोहरत सब मुल्कों में फ़ैल गई, और ख़ुदावन्द ने सब क़ौमों पर उसका ख़ौफ़ बिठा दिया।
\s5
\c 15
\s सन्दुक को ले जाने की तैयारी
\p
\v 1 और दाऊद ने दाऊद के शहर में अपने लिए महल बनाए, और ख़ुदा के सन्दूक़ के लिए एक जगह तैयार करके उसके लिए एक ख़ैमा खड़ा किया।
\v 2 तब दाऊद ने कहा कि लावियों के 'अलावा और किसी को ख़ुदा के सन्दूक़ को उठाना नहीं चाहिए, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उन्हीं को चुना है कि ख़ुदा सन्दूक़ को उठाएँ और हमेशा उसकी ख़िदमत करें।
\v 3 और दाऊद ने सारे इस्राईल को येरूशलेम में जमा' किया, ताकि ख़ुदावन्द के सन्दूक़ को उस जगह जो उसने उसके लिए तैयार की थी ले आएँ।
\s5
\v 4 और दाऊद ने बनी हारून को और लावियों को इकट्ठा किया:
\v 5 या'नी बनी क़िहात में से, ऊरिएल सरदार और उसके एक सौ बीस भाइयों को;
\v 6 बनी मिरारी में से, 'असायाह सरदार और उसके दो सौ बीस भाइयों को;
\s5
\v 7 बनी जैरसोम में से, यूएल सरदार और उसके एक सौ तीस भाइयों को;
\v 8 बनी इलिसफ़न में से, समायाह सरदार और उसके दो सौ भाइयों को;
\v 9 बनी हबरून में से, इलीएल सरदार और उसके अस्सी भाइयों को;
\v 10 बनी उज़्ज़ीएल में से, 'अम्मीनदाब सरदार और उसके एक सौ बारह भाइयों को।
\s5
\v 11 और दाऊद ने सदोक़ और अबीयातर काहिनों की, और ऊरिएल और 'असायाह और यूएल और समायाह और इलीएल और 'अम्मीनदाब लावियों को बुलाया,
\v 12 और उनसे कहा कि तुम लावियों के आबाई ख़ान्दानों के सरदार हो; तुम अपने आपको पाक करो, तुम भी और तुम्हारे भाई भी, ताकि तुम ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के सन्दूक़ को उस जगह जो मैंने उसके लिए तैयार की है ला सको।
\s5
\v 13 क्यूँकि जब तुम ने पहली बार उसे न उठाया, तो ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा हम पर टूट पड़ा, क्यूँकि हम क़ानून के मुताबिक़ उसके तालिब नहीं हुए थे।
\v 14 तब काहिनों और लावियों ने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के सन्दूक़ को लाने के लिए अपने आपको पाक किया।
\v 15 और बनी लावी ने ख़ुदा के सन्दूक़ को, जैसा मूसा ने ख़ुदावन्द के कलाम के मुवाफ़िक हुक्म किया था, कड़ियों से अपने कन्धों पर उठा लिया।
\s5
\v 16 और दाऊद ने लावियों के सरदारों को फ़रमाया कि अपने भाइयों में से हम्द करने वालों को मुक़र्रर करें कि मूसीक़ी के साज़, या'नी सितार और बरबत और झाँझ बजाएं और आवाज़ बुलन्द करके ख़ुशी से गाएँ।
\v 17 तब लावियों ने हैमान बिन यूएल को मुक़र्रर किया, और उसके भाइयों में से आसफ़ बिन बरकियाह को, और उनके भाइयों बनी मिरारी में से ऐतान बिन कौसियाह को;
\v 18 और उनके साथ उनके दूसरे दर्जे के भाइयों या'नी ज़करियाह, बीन और या'ज़िएल और सिमीरामोत और यहिएल और उन्नी और इलियाब और बिनायाह और मासियाह और मतितियाह और इलिफ़लहू और मिक़िनियाह और 'ओबेदअदोम और य'ईएल को जो दरबान थे।
\s5
\v 19 फिर हम्द करने वाले हैमान, आसफ़ और ऐतान मुक़र्रर हुए कि पीतल की झाँझों को ज़ोर से बजाएँ;
\v 20 और ज़करियाह और 'अज़ीएल और सिमीरामीत और यहिएल और उन्नी और इलियाब और मा'सियाह और बिनायाह सितार को 'अलामीत राग पर छेड़े;
\v 21 और मतितियाह और इलिफ़लहू और मिक़िनियाह और 'ओबेदअदोम और य'ईएल और 'अज़ज़ियाह शमीनीत राग पर सितार बजाएँ।
\s5
\v 22 और कनानियाह, लावियों का सरदार, हम्द गाने पर मुक़र्रर था; वहहम्द सिखाता था, क्यूँकि वह बड़ा ही माहिर था।
\v 23 और बरकियाह और इल्क़ाना सन्दूक़ के दरबान थे,
\v 24 और शबनियाह और यहूसफ़त और नतनीएल और 'अमासी और ज़करियाह और बिनायाह और इली'एलियाज़र काहिन ख़ुदा के सन्दूक़ के आगे आगे नरसिंगे फूँकते जाते थे, और 'ओबेदअदोम और यहियाह सन्दूक़ के दरबान थे।
\s5
\v 25 तब दाऊद और इस्राईल के बुज़ुर्ग और हज़ारों के सरदार रवाना हुए कि ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को 'ओबेदअदोम के घर से ख़ुशी मनाते हुए लाएँ।
\v 26 और ऐसा हुआ कि जब ख़ुदा ने उन लावियों की, जो ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक को उठाए हुए थे मदद की, तो उन्होने सात बैल और सात मेंढे क़ुर्बान किए।
\s5
\v 27 और दाऊद और सब लावी जो सन्दूक़ को उठाये हए थे, और हम्द करने वाले और हम्द करने वालों के साथ कनानियाह जो हम्द करने में उस्ताद था कतानी लिबासों से मुलब्बस थे, और दाऊद कतान का अफ़ूद भी पहने था।
\v 28 यूँ सब इस्राईली नारा मारते और नरसिंगों और तुरहियों और झाँझों की आवाज़ के साथ सिरतार और बरबत कों ज़ोर से बजाते हुए, ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को लाए।
\s5
\v 29 और ऐसा हुआ कि जब ख़ुदावन्द का 'अहद का सन्दूक़ दाऊद के शहर में पहुँचा, तो साऊल की बेटी मीकल ने खिड़की में से झाँक कर दाऊद बादशाह को ख़ूब नाचते — कूदते देखा, और उसने अपने दिल में उसको हक़ीर जाना।
\s5
\c 16
\p
\v 1 तब वह ख़दा के सन्दूक़ को ले आए और उसे उस ख़ेमा के बीच में जो दाऊद ने उसके लिए खड़ा किया था रखा, और सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ और सलामती की क़ुर्बानियाँ ख़ुदा के सामने पेश कीं।
\v 2 जब दाऊद सोख़्तनी क़ुर्बानी और सलामती की क़ुर्बानियाँ पेश कर चुका तो उसने ख़ुदावन्द के नाम से लोगों को बरकत दी।
\v 3 और उसने सब इस्राईली लोगों को, क्या आदमी क्या 'औरत, एक एक रोटी और एक एक टुकड़ा गोश्त और किशमिश की एक एक टिकिया दी।
\s5
\v 4 और उसने लावियों में से कुछ को मुक़र्रर किया कि ख़ुदावन्द के सन्दूक़ के आगे ख़िदमत करें, और ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा का ज़िक्र और शुक्र और उसकी हम्द करें।
\v 5 अव्वल आसफ़ और उसके बाद ज़करियाह और य'ईएल और सिमीरामोत और यहिएल और मतितियाह और इलियाब और बिनायाह और 'ओबेदअदोम और य'ईएल, सितार और बरबत के साथ, और आसफ़ झाँझों को ज़ोर से बजाता हुआ;
\v 6 और बिनायाह और यहज़िएल काहिन हमेशा तुरहियों के साथ ख़ुदा के 'अहद के सन्दूक़ के आगे रहा करें।
\s दाऊद की शुक्रगुज़ारी का गीत
\s5
\p
\v 7 पहले उसी दिन दाऊद ने यह ठहराया कि ख़ुदावन्द का शुक्र आसफ़ और उसके भाई बजा लाया करें।
\v 8 ख़ुदावन्द की शुक्रगुज़ारी करो। उससे दुआ करो; क़ौमों के बीच उसके कामों का इश्तिहार दो।
\v 9 उसके सामने हम्द करो, उसकी बड़ाई करो, उसके सब 'अजीब कामों का ज़िक्र करो।
\s5
\v 10 उसके पाक नाम पर फ़ख़्र करो; जो ख़ुदावन्द के तालिब हैं, उनका दिल खु़श रहे।
\v 11 तुम ख़ुदावन्द और उसकी ताक़त के तालिब हो; तुम हमेश उसके दीदार के तालिब रहो।
\s5
\v 12 तुम उसके 'अजीब कामों को जो उसने किए, और उसके मो'जिज़ों और मुँह के क़ानून को याद रखो
\v 13 ऐ उसके बन्दे इस्राईल की नसल, ऐ बनी या'क़ूब, जो उसके चुने हुए हो।
\v 14 वह ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा है, तमाम रू — ए — ज़मीन पर उसके क़ानून हैं।
\s5
\v 15 हमेशा उसके 'अहद को याद रखो, और हज़ार नसलों तक उसके कलाम को जो उसने फ़रमाया।
\v 16 उसी 'अहद को जो उसने अब्रहाम से बाँधा, और उस क़सम को जो उसने इस्हाक़ से खाई,
\v 17 जिसे उसने या'क़ूब के लिए क़ानून के तौर पर और इस्राईल के लिए हमेशा 'अहद के तौर पर क़ाईम किया,
\v 18 यह कहकर, “मैं कन'आन का मुल्क तुझको दूँगा, वह तुम्हारा मौरुसी हिस्सा होगा।”
\s5
\v 19 उस वक़्त तुम शुमार में थोड़े थे बल्कि बहुत ही थोड़े और मुल्क में परदेसी थे।
\v 20 वह एक क़ौम से दूसरी क़ौम में और एक मुल्क से दूसरी मुल्क में फिरते रहे।
\v 21 उसने किसी शख़्स को उनपर ज़ुल्म करने न दिया; बल्कि उनकी ख़ातिर बादशाहों को तम्बीह की,
\v 22 कि तुम मेरे मम्सूहों को न छुओ और मेरे नबियों को न सताओ।
\s5
\v 23 ऐ सब अहल — ए ज़मीन, ख़ुदावन्द के सामने हम्द करो। रोज़ — ब — रोज़ उसकी नजात की बशारत दो।
\v 24 क़ौमों में उसके जलाल का, सब लोगों में उसके 'अजायब का बयान करो।
\s5
\v 25 क्यूँकि ख़ुदावन्द बूज़ुर्ग और बहुत ही ता'रीफ़ के लायक़ है, वह सब मा'बूदों से ज़्यादा बड़ा है।
\v 26 इसलिए कि और क़ौमों के सब मा'बूद महज़ बुत हैं; लेकिन ख़ुदावन्द ने आसमानों को बनाया।
\v 27 'अज़मत और जलाल उसके सामने में हैं, और उसके यहाँ क़ुदरत और शादमानी हैं।
\s5
\v 28 ऐ क़ौमों के क़बीलो! ख़ुदावन्द की, ख़ुदावन्द ही की तम्जीद — ओ — ताज़ीम करो।
\v 29 ख़ुदावन्द की ऐसी बड़ाई करो जो उसके नाम के शायाँ है। हदिया लाओ, और उसके सामने आओ, पाक आराइश के साथ ख़ुदावन्द को सिज्दा करो।
\s5
\v 30 ऐ सब अहल — ए — ज़मीन! उसके सामने काँपते रहो। जहान क़ाईम है, और उसे हिलता नहीं।
\v 31 आसमान ख़ुशी मनाए और ज़मीन ख़ुश हो, वह क़ौमों में ऐलान करें कि ख़ुदावन्द हुकूमत करता है।
\s5
\v 32 समन्दर और उसकी मामूरी शोर मचाए, मैदान और जो कुछ उसमें है बाग़ बाग़ हो।
\v 33 तब जंगल के दरख़्त ख़ुशी से ख़ुदावन्द के सामने हम्द करने लगेंगे, क्यूँकि वह ज़मीन का इन्साफ़ करने को आ रहा है।
\s5
\v 34 ख़ुदावन्द का शुक्र करो, इसलिए कि वह नेक है; क्यूँकि उसकी शफ़क़त हमेशा है।
\v 35 तुम कहो, “ऐ हमारी नजात के ख़ुदा, हम को बचा ले, और क़ौमों में से हम को जमा' कर और उनसे हम को रिहाई दे, ताकि हम तेरे कुहूस नाम का शुक्र करें, और ललकारते हुए तेरी ता'रीफ़ करें।
\s5
\v 36 ख़ुदादावन्द इस्राईल का ख़ुदा, अज़ल से 'हमेश तक मुबारक हो!” और सब लोग बोल उठे “आमीन!” उन्होंने ख़ुदावन्द की ता'रीफ़ की।
\s5
\v 37 उसने वहाँ ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ के आगे आसफ़ और उसके भाइयों को, हर रोज़ के ज़रूरी काम के मुताबिक़ हमेशा सन्दूक़ के आगे ख़िदमत करने को छोड़ा;
\v 38 और 'ओबेदअदोम और उसके अठासठ भाइयों को, और 'ओबेदअदोम बिन यदूतून और हूसाह को ताकि दरबान हों।
\v 39 और सदूक़ काहिन और उसके काहिन भाइयों को ख़ुदावन्द के घर के आगे, जिबा'ऊन के ऊँचे मक़ाम पर, इसलिए
\s5
\v 40 कि वह ख़ुदावन्द की शरी'अत की सब लिखी हुई बातों के मुताबिक़ जो उसने इस्राईल को फ़रमाई, हर सुबह और शाम सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह पर ख़ुदावन्द के लिए सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ पेश कीं।
\v 41 उनके साथ हैमान और यदूतून और बाक़ी चुने हुए आदमियों को जो नाम — ब — नाम मज़कूर हुए थे, ताकि ख़ुदावन्द का शुक्र करें क्यूँकि उसकी शफ़क़त हमेशा है।
\s5
\v 42 उन ही के साथ हैमान और यदूतून थे, जो बजाने वालों के लिए तुरहियाँ और झाँझें और ख़ुदा के हम्द के लिए बाजे लिए हुए थे, और बनी यदूतून दरबान थे।
\v 43 तब सब लोग अपने अपने घर गए, और दाऊद लौटा कि अपने घराने को बरकत दे।
\s5
\c 17
\s ख़ुदा का दाऊद के साथ अहद
\p
\v 1 जब दाऊद अपने महल में रहने लगा, तो उसने नातन नबी से कहा, मैं तो देवदार के महल में रहता हूँ, लेकिन ख़ुदावन्द के 'अहद का सन्दूक़ ख़ेमे में है।
\v 2 नातन ने दाऊद से कहा, जो कुछ तेरे दिल में है वह कर, क्यूँकि ख़ुदा तेरे साथ है।
\s5
\v 3 और उसी रात ऐसा हुआ कि ख़ुदा का कलाम नातन पर नाज़िल हुआ कि,
\v 4 जाकर मेरे बन्दे दाऊद से कह कि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि तू मेरे रहने के लिए घर न बनाना।
\v 5 क्यूँकि जब से मैं बनी — इस्राईल को निकाल लाया, आज के दिन तक मैंने किसी घर में सुकूनत नहीं की; बल्कि ख़ेमा — ब — ख़ेमा और मस्कन — ब — मस्कन फिरता रहा हूँ
\v 6 उन जगहों में जहाँ जहाँ मैं सारे इस्राईल के साथ फिरता रहा, क्या मैंने इस्राईली क़ाज़ियों में से जिनको मैंने हुक्म किया था कि मेरे लोगों की गल्लेबानी करें, किसी से एक हर्फ़ भी कहा कि तुम ने मेरे लिए देवदार का घर क्यूँ नहीं बनाया?
\s5
\v 7 तब तू मेरे बन्दे दाऊद से यूँ कहना कि रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि मैंने तुझे भेड़साले में से जब तू भेड़ — बकरियों के पीछे पीछे चलता था लिया, ताकि तू मेरी क़ौम इस्राईल का रहनुमा हो;
\v 8 और जहाँ कहीं तू गया मैं तेरे साथ रहा, और तेरे सब दुश्मनों को तेरे सामने से काट डाला है, और मैं रूए — ज़मीन के बड़े बड़े आदमियों के नाम की तरह तेरा नाम कर दूँगा।
\s5
\v 9 और मैं अपनी क़ौम इस्राईल के लिए एक जगह ठहराऊँगा, और उनको क़ाईम कर दूँगा ताकि अपनी जगह बसे रहें और फिर हटाए न जाएँ, और न शरारत के फ़र्ज़न्द फिर उनको दुख देने पाएँगे जैसा शुरू' में हुआ।
\v 10 और उस वक़्त भी जब मैंने हुक्म दिया कि मेरी क़ौम इस्राईल पर क़ाज़ी मुकर्रर हों, और मैं तेरे सब दुश्मनों को मग़लूब करूँगा। इसके 'अलावा मैं तुझे बताता हूँ कि ख़ुदावन्द तेरे लिए एक घर बनाएगा।
\s5
\v 11 जब तेरे दिन पूरे हो जाएँगे ताकि तू अपने बाप — दादा के साथ मिल जाने को चला जाए, तो मैं तेरे बाद तेरी नसल को तेरे बेटों में से खड़ा करूँगा, और उसकी हुकूमत को क़ाईम करूँगा।
\v 12 वह मेरे लिए घर बनाएगा, और मैं उसका तख़्त हमेशा के लिए क़ाईम करूँगा।
\s5
\v 13 मैं उसका बाप हूँगा और वह मेरा बेटा होगा; और मैं अपनी शफ़क़त उस पर से नहीं हटाऊँगा, जैसे मैंने उस पर से जो तुझ से पहले था हटा ली,
\v 14 बल्कि मैं उसको अपने घर में और अपनी ममलुकत में हमेशा तक क़ाईम रखूँगा, और उसका तख़्त हमेशा तक साबित रहेगा।
\v 15 इसलिए नातन ने इन सब बातों और इस सारे ख़्वाब के मुताबिक़ ऐसा ही दाऊद से कहा।
\s5
\v 16 तब दाऊद बादशाह अन्दर जाकर ख़ुदावन्द के सामने बैठा, और कहने लगा, ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा! मैं कौन हूँ, और मेरा घराना क्या है कि तू ने मुझ को यहाँ तक पहुँचाया?
\v 17 और ये, ऐ ख़ुदा, तेरी नज़र में छोटी बात थी, बल्कि तू ने तो अपने बन्दे के घर के हक़ में आइंदा बहुत दिनों का ज़िक्र किया है, और तू ने ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा, मुझे ऐसा माना कि गोया मैं बड़ा मन्ज़िलत वाला आदमी' हूँ।
\v 18 भला दाऊद तुझ से उस इकराम की निस्बत, जो तेरे ख़ादिम का हुआ और क्या कहे? क्यूँकि तू अपने बन्दे को जानता है।
\s5
\v 19 ऐ ख़ुदावन्द, तू ने अपने बन्दे की ख़ातिर अपनी ही मर्ज़ी से इन बड़े बड़े कामों को ज़ाहिर करने के लिए इतनी बड़ी बात की।
\v 20 ऐ ख़ुदावन्द, कोई तेरी तरह नहीं और तेरे 'अलावा जिसे हम ने अपने कानों से सुना है और कोई ख़ुदा नहीं।
\v 21 और रू — ए — ज़मीन पर तेरी क़ौम इस्राईल की तरहऔर कौन सी क़ौम है, जिसे ख़ुदा ने जाकर अपनी उम्मत बनाने को ख़ुद छुड़ाया? ताकि तू अपनी उम्मत के सामने से जिसे तू ने मिस्र से ख़लासी बख़्शी, क़ौमों को दूर करके बड़े और मुहीब कामों से अपना नाम करे।
\s5
\v 22 क्यूँकि तू ने अपनी क़ौम इस्राईल को हमेशा के लिए अपनी क़ौम ठहराया है, और तू ख़ुद ऐ ख़ुदावन्द, उनका ख़ुदा हुआ है।
\v 23 और अब ऐ ख़ुदावन्द, वह बात जो तू ने अपने बन्दे के हक़ में और उसके घराने के हक में फ़रमाई, हमेशा तक साबित रहे और जैसा तू ने कहा है वैसा ही कर।
\v 24 और तेरा नाम हमेशा तक क़ाईम और बुज़ुर्ग हो ताकि कहा जाए कि रब्ब — उल — अफ़वाज इस्राईल का ख़ुदा है, बल्कि वह इस्राईल ही के लिए ख़ुदा है और तेरे बन्दे दाऊद का घराना तेरे सामने क़ाईम रहे।
\s5
\v 25 क्यूँकि तू ने ऐ मेरे ख़ुदा, अपने बन्दा पर ज़ाहिर किया है कि तू उसके लिए एक घर बनाएगा; इसलिए तेरे बन्दे को तेरे सामने दुआ करने का हौसला हुआ।
\v 26 और ऐ ख़ुदावन्द तू ही ख़ुदा है, और तू ने अपने बन्दे से इस भलाई का वा'दा किया;
\v 27 और तुझे पसंद आया कि तू अपने बन्दे के घराने को बरकत बख़्शे, ताकि वह हमेशा तक तेरे सामने क़ाईम रहे; क्यूँकि तू ऐ ख़ुदावन्द बरकत दे चुका है, इसलिए वह हमेशा तक मुबारक है।
\s5
\c 18
\s दाऊद की फ़ौज की फ़तह
\p
\v 1 इसके बाद यूँ हुआ कि दाऊद ने फ़िलिस्तियों को मारा और उनको मग़लूब किया, और जात को उसके क़स्बों समेत फ़िलिस्तियों के हाथ से ले लिया।
\v 2 उसने मोआब को मारा, और मोआबी दाऊद के फ़रमाँबरदार हो गए और हदिए लाए।
\s5
\v 3 दाऊद ने ज़ोबाह के बादशाह हदर'एलियाज़र को भी, जब वह अपनी हुकूमत दरिया — ए — फ़रात तक क़ाईम करने गया, हमात में मार लिया।
\v 4 और दाऊद ने उससे एक हज़ार रथ और सात हज़ार सवार और बीस हज़ार प्यादे ले लिए, और उसने रथों के सब घोड़ों की नालें कटवा दीं, लेकिन उनमें से एक सौ रथों के लिए घोड़े बचा लिए।
\s5
\v 5 जब दमिश्क़ के अरामी ज़ोबाह के बादशाह हदर'एलियाज़र की मदद करने को आए, तो दाऊद ने अरामियों में से बाइस हज़ार आदमी क़त्ल किए।
\v 6 तब दाऊद ने दमिश्क़ के अराम में सिपाहियों की चौकियाँ बिठाई, और अरामी दाऊद के फ़रमाँबरदार हो गए और हदिए लाए। और जहाँ कहीं दाऊद जाता ख़ुदावन्द उसे फ़तह बख़्शता था।
\s5
\v 7 और दाऊद हदर'एलियाज़र के नौकरों की सोने की ढालें लेकर उनको येरूशलेम में लाया;
\v 8 और हदर'एलियाज़र के शहरों, तिबखत और कून से दाऊद बहुत सा पीतल लाया, जिससे सुलेमान ने पीतल का बड़ा हौज़ और खम्भा और पीतल के बर्तन बनाए।
\s5
\v 9 जब हमात के बादशाह तू'ऊ ने सुना के दाऊद ने ज़ोबाह के बादशाह हदर'एलियाज़र का सारा लश्कर मार लिया,
\v 10 तो उसने अपने बेटे हदूराम को दाऊद बादशाह के पास भेजा ताकि उसे सलाम करे और मुबारक बाद दे, इसलिए के उसने जंग करके हदर'एलियाज़र को मारा क्यूँकि हदर'एलियाज़र तू'ऊ से लड़ा करता था, और हर तरह के सोने और चाँदी और पीतल के बर्तन उसके साथ थे।
\v 11 इनकी भी दाऊद बादशाह ने उस चाँदी और सोने के साथ, जो उसने और सब क़ौमों या'नी अदोम और मोआब और बनी 'अम्मून और फ़िलिस्तियों और 'अमालीक से लिया था, ख़ुदावन्द को नज़्र किया।
\s5
\v 12 और अबीशै। बिन ज़रोयाह ने वादी — ए — शोर में अठारह हज़ार अदोमियों को मारा।
\v 13 और उसने अदोम में सिपाहियों की चौकियाँ बिठाई, और सब अदूमी दाऊद के फ़रमाँबरदार हो गए। और जहाँ कहीं दाऊद जाता ख़ुदावन्द उसे फ़तह बख़्शता था।
\s5
\v 14 तब दाऊद सारे इस्राईल पर हुकूमत करने लगा, और अपनी सारी र'इयत के साथ अद्ल — ओ — इन्साफ़ करता था।
\v 15 और योआब बिन ज़रोयाह लश्कर का सरदार था, और यहूसफ़त बिन अख़ीलूद मुवर्रिख़था;
\v 16 और सदूक़ बिन अख़ीतोब और अबीमलिक बिन अबीयातर काहिन थे, और शौशा मुन्शी था;
\v 17 और बिनायाह बिन यहूयदा' करेतियों और फ़लेतियों पर था; और दाऊद के बेटे बादशाह के ख़ास मुसाहिब थे।
\s5
\c 19
\s दाऊद का अम्मून को हराना
\p
\v 1 इसके बाद ऐसा हुआ कि बनी 'अम्मून का बादशाह नाहस मर गया, और उसका बेटा उसकी जगह हुकूमत करने लगा।
\v 2 तब दाऊद ने कहा कि मैं नाहस के बेटे हनून के साथ नेकी करूँगा क्यूँकि उसके बाप ने मेरे साथ नेकी की, तब दाऊद ने क़ासिद भेजे ताकि उसके बाप के बारे में उसे तसल्ली दें। इसलिए दाऊद के ख़ादिम बनी अम्मून के मुल्क में हनून के पास आये कि उसे तसल्ली दें।
\v 3 लेकिन बनी 'अम्मून के अमीरों ने हनून से कहा, “क्या तेरा ख़्याल है कि दाऊद तेरे बाप की 'इज़्ज़त करता है, तो उसने तेरे पास तसल्ली देनेवाले भेजे हैं? क्या उसके ख़ादिम तेरे मुल्क का हाल दरियाफ़्त करने, और उसे तबाह करने, और राज़ लेने नहीं आए हैं?”
\s5
\v 4 तब हनून ने दाऊद के ख़ादिमों को पकड़ा और उनकी दाढ़ी मूँछें मुंडवाकर, उनकी आधी लिबास उनके सुरीनों तक कटवा डाली, और उनको रवाना कर दिया।
\v 5 तब कुछ ने जाकर दाऊद को बताया कि उन आदमियों से कैसा सुलूक किया गया। तब उसने उनके इस्तक़बाल को लोग भेजे इसलिए कि वह निहायत शरमाते थे, और बादशाह ने कहा कि जब तक तुम्हारी दाढ़ियाँ न बढ़ जाएँ यरीहू में ठहरे रहो, इसके बाद लौट आना।
\s5
\v 6 जब बनी 'अम्मून ने देखा कि वह दाऊद के सामने नफ़रतअंगेज़ हो गए हैं, तो हनून और बनी 'अम्मून ने मसोपतामिया और अराम, माका और ज़ोबाह से रथों और सवारों को किराया करने के लिए एक हज़ार क़िन्तार चाँदी भेजी।
\v 7 इसलिए उन्होंने बत्तीस हज़ार रथों और मा'का के बादशाह और उसके लोगों को अपने लिए किराया कर लिया, जो आकर मीदबा के सामने ख़ैमाज़न हो गए। और बनी 'अम्मून अपने अपने शहर से जमा' हुए और लड़ने को आए।
\s5
\v 8 जब दाऊद ने यह सुना तो उसने योआब और सूर्माओं के सारे लश्कर को भेजा।
\v 9 तब बनी 'अम्मून ने निकलकर शहर के फाटक पर लड़ाई के लिए सफ़ बाँधी, और वह बादशाह जो आए थे सो उनसे अलग मैदान में थे।
\s5
\v 10 जब योआब ने देखा कि उसके आगे और पीछे लड़ाई के लिए सफ़ बँधी है, तो उसने सब इस्राईल के ख़ास लोगों में से आदमी चुन लिए और अरामियों के मुक़ाबिल उनकी सफ़ आराई की;
\v 11 और बाक़ी लोगों को अपने भाई अबीशै के सुपुर्द किया, और उन्होंने बनी 'अम्मून के सामने अपनी सफ़ बाँधी।
\s5
\v 12 और उसने कहा कि अगर अरामी मुझ पर ग़ालिब आएँ, तो तू मेरी मदद करना; और अगर बनी 'अम्मून तुझ पर ग़ालिब आएँ, तो मैं तेरी मदद करूँगा।
\v 13 इसलिए हिम्मत बाँधो, और आओ हम अपनी क़ौम और अपने ख़ुदा के शहरों की ख़ातिर मर्दानगी करें; और ख़ुदावन्द जो कुछ उसे भला मा'लूम हो करे।
\s5
\v 14 तब योआब अपने लोगों समेत अरामियों से लड़ने को आगे बढ़ा, और वह उसके सामने से भागे।
\v 15 जब बनी 'अम्मून ने अरामियों को भागते देखा, तो वह भी उसके भाई अबीशै के सामने से भाग कर शहर में घुस गए। तब योआब येरूशलेम को लौट आया।
\s5
\v 16 जब अरामियों ने देखा कि उन्होंने बनी — इस्राईल से शिकस्त खाई, तो उन्होंने क़ासिद भेज कर दरिया — ए — फु़रात के पार के अरामियों को बुलवाया; और हदर'एलियाज़र का सिपहसालार सोफ़क उनका सरदार था।
\v 17 और इसकी ख़बर दाऊद को मिली तब वह सारे इस्राईल को जमा' करके यरदन के पार गया, और उनके क़रीब पहुँचा और उनके मुक़ाबिल सफ़ बाँधी, फ़िर जब दाऊद ने अरामियों के मुक़ाबिले में जंग के लिए सफ़ बाँधी तो वह उससे लड़े।
\s5
\v 18 और अरामी इस्राईल के सामने से भागे, और दाऊद ने अरामियों के सात हज़ार रथों के सवारों और चालीस हज़ार प्यादों को मारा, और लश्कर के सरदार सोफ़क को क़त्ल किया।
\v 19 जब हदर'एलियाज़र के मुलाज़िमों ने देखा कि वह इस्राईल से हार गए, तो वह दाऊद से सुलह करके उसके फ़रमाँबरदार हो गए; और अरामी बनी 'अम्मून की मदद पर फिर कभी राज़ी न हुए।
\s5
\c 20
\s दाऊद का रब्बा को घेरना
\p
\v 1 फिर नए साल के शुरू' में जब बादशाह जंग के लिए निकलते हैं, योआब ने ताक़तवर लश्कर ले जाकर बनी 'अम्मून के मुल्क को उजाड़ डाला और आकर रब्बा को घेर लिया; लेकिन दाऊद येरूशलेम में रह गया था, और योआब ने रब्बा को घेर करके उसे ढा दिया।
\s5
\v 2 और दाऊद ने उनके बादशाह के ताज को उसके सिर पर से उतार लिया, और उसका वज़न एक क़िन्तार सोना पाया, और उसमें बेशक़ीमत जवाहर जड़े थे; इसलिए वह दाऊद के सिर पर रखा गया, और वह उस शहर में से बहुत सा लूट का माल निकाल लाया।
\v 3 उसने उन लोगों को जो उसमें थे, बाहर निकाल कर आरों और लोहे के हींगों और कुल्हाड़ों से काटा, और दाऊद ने बनी 'अम्मून के सब शहरों से ऐसा ही किया। तब दाऊद और सब लोग येरूशलेम को लौट आए।
\s5
\v 4 इसके बाद जज़र में फ़िलिस्तियों से जंग हुई; तब हूसाती सिब्बकी ने सफ़्फ़ी को जो पहलवान के बेटों में से एक था क़त्ल किया, और फ़िलिस्ती मग़लूब हुए।
\v 5 और फ़िलिस्तियों से फिर जंग हुई; तब य'ऊर के बेटे इल्हनान ने जाती जूलियत के भाई लहमी को, जिसके भाले की छड़ जुलाहे के शहतीर के बराबर थी, मार डाला।
\s5
\v 6 फिर जात में एक और जंग हुई जहाँ एक बड़ा क़दआवर आदमी था जिसके चौबीस उंगलियाँ, या'नी हाथों में छ: छ: और पाँव में छ: छ: थीं, और वह भी उसी पहलवान का बेटा था।
\v 7 जब उसने इस्राईल की फ़ज़ीहत की तो दाऊद के भाई सिमआ के बेटे योनतन ने उसको मार डाला।
\v 8 यह जात में उस पहलवान से पैदा हुए थे, और दाऊद और उसके ख़ादिमों के हाथ से क़त्ल हुए।
\s5
\c 21
\s दाऊद का मर्दम शुमारी करना
\p
\v 1 और शैतान ने इस्राईल के ख़िलाफ़ उठकर दाऊद को उभारा कि इस्राईल का शुमार करें
\v 2 तब दाऊद ने योआब से और लोगों के सरदारों से कहा कि जाओ बैरसबा से दान तक इस्राईल का शुमार करो, और मुझे ख़बर दो ताकि मुझे उनकी ता'दाद मा'लूम हो।
\v 3 योआब ने कहा, “ख़ुदावन्द अपने लोगों को जितने हैं, उससे सौ गुना ज़्यादा करे; लेकिन ऐ मेरे मालिक बादशाह, क्या वह सब के सब मेरे मालिक के ख़ादिम नहीं हैं? फिर मेरा ख़ुदावन्द यह बात क्यूँ चाहता है? वह इस्राईल के लिए ख़ता का ज़रिए' क्यूँ बने?”
\s5
\v 4 तो भी बादशाह का फ़रमान योआब पर ग़ालिब रहा चुनाँचे यूआब रुख़्सत हुआ और तमाम इस्राईल में फिरा और येरूशलेम की लौटा;
\v 5 और योआब ने लोगों के शुमार की मीज़ान दाऊद को बतायी और सब इस्राईली ग्यारह लाख शमशीर ज़न मर्द, और यहूदाह चार लाख सत्तर हज़ार शमशीर ज़न शख़्स थे।
\s5
\v 6 लेकिन उसने लावी और बिनयमीन का शुमार उनके साथ नहीं किया था, क्यूँकि बादशाह का हुक्म योआब के नज़दीक़ नफ़रतअंगेज़ था।
\v 7 लेकिन ख़ुदा इस बात से नाराज़ हुआ, इसलिए उसने इस्राईल को मारा।
\v 8 तब दाऊद ने ख़ुदा से कहा कि मुझसे बड़ा गुनाह हुआ कि मैंने यह काम किया। अब मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि अपने बन्दा क़ुसूर मु'आफ़ कर, क्यूँकि मैंने बेहूदा काम किया है।
\s5
\v 9 और ख़ुदावन्द ने दाऊद के गै़बबीन जाद से कहा;
\v 10 कि जाकर दाऊद से कह कि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि मैं तेरे सामने तीन चीज़ें पेश करता हूँ, उनमें से एक चुन ले, ताकि मैं उसे तुझ पर भेजूँ।
\s5
\v 11 तब जाद ने दाऊद के पास आकर उससे कहा, ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि तू जिसे चाहे उसे चुन ले:
\v 12 या तो क़हत के तीन साल; या अपने दुश्मनों के आगे तीन महीने तक हलाक होते रहना, ऐसे हाल में कि तेरे दुश्मनों की तलवार तुझ पर वार करती रहे; या तीन दिन ख़ुदावन्द की तलवार या'नी मुल्क में वबा रहे, और ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता इस्राईल की सब सरहदों में मारता रहे। अब सोच ले कि मैं अपने भेजनेवाले को क्या जवाब दूँ।
\s5
\v 13 दाऊद ने जाद से कहा, मैं बड़े शिकंजे में हूँ मैं ख़ुदावन्द के हाथ में पड़ूँ क्यूँकि उसकी रहमतें बहुत ज़्यादा हैं लेकिन इंसान के हाथ में न पड़ूँ।
\v 14 तब ख़ुदावन्द ने इस्राईल में वबा भेजी, और इस्राईल में से सत्तर हज़ार आदमी मर गए।
\v 15 और ख़ुदा ने एक फ़रिश्ता येरूशलेम को भेजा कि उसे हलाक करे; और जब वह हलाक करने ही को था, तो ख़ुदावन्द देख कर उस बला से मलूल हुआ और उस हलाक करनेवाले फ़रिश्ते से कहा, बस, अब अपना हाथ खींच। और ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता यबूसी उरनान के खलिहान के पास खड़ा था।
\s5
\v 16 और दाऊद ने अपनी आँखें उठा कर आसमान — ओ — ज़मीन के बीच ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते को खड़े देखा, और उसके हाथ में नंगी तलवार थी जो येरूशलेम पर बढ़ाई हुई थी; तब दाऊद और बुज़ुर्ग टाट ओढ़े हुए मुँह के गिरे सिज्दा किया।
\v 17 और दाऊद ने ख़ुदा से कहा, क्या मैं ही ने हुक्म नहीं किया था कि लोगों का शुमार किया जाए? गुनाह तो मैंने किया, और बड़ी शरारत मुझ से हुई, लेकिन इन भेड़ों ने क्या किया है? ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, तेरा हाथ मेरे और मेरे बाप के घराने के ख़िलाफ़ हो न किअपने लोगों के ख़िलाफ़ के वह वबा में मुब्तिला हों।
\s5
\v 18 तब ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते ने जाद को हुक्म किया कि दाऊद से कहे कि दाऊद जाकर यबूसी उरनान के खलिहान में ख़ुदावन्द के लिए एक क़ुर्बानगाह बनाए।
\v 19 और दाऊद जाद के कलाम के मुताबिक़, जो उसने ख़ुदावन्द के नाम से कहा था गया,
\v 20 और उरनान ने मुड़ कर उस फ़रिश्ते को देखा, और उसके चारों बेटे जो उसके साथ थे छिप गए। उस वक़्त उरनान गेहूँ दाउता था।
\s5
\v 21 जब दाऊद उरनान के पास आया, तब उरनान ने निगाह की और दाऊद को देखा, और खलिहान से बाहर निकल कर दाऊद के आगे झुका और ज़मीन पर सिज्दा किया।
\v 22 तब दाऊद ने उरनान से कहा कि इस खलिहान की यह जगह मुझे दे दे, ताकि मैं इसमें ख़ुदावन्द के लिए एक क़ुर्बानगाह बनाऊँ; तू इसका पूरा दाम लेकर मुझे दे, ताकि वबा लोगों से दूर कर दी जाए।
\s5
\v 23 उरनान ने दाऊद से कहा, “तू इसे ले ले और मेरा मालिक बादशाह जो कुछ उसे भला मा'लूम हो करे। देख, मैं इन बैलों को सोख़्तनी क़ुर्बानियों के लिए और दाउने के सामान ईंधन के लिए, और यह गेहूँ नज़्र की क़ुर्बानी के लिए देता हूँ; मैं यह सब कुछ दिए देता हूँ।”
\v 24 दाऊद बादशाह ने उरनान से कहा, “नहीं नहीं, बल्कि मैं ज़रूर पूरा दाम देकर तुझ से खरीद लूँगा, क्यूँकि मैं उसे जो तेरा माल है ख़ुदावन्द के लिए नहीं लेने का, और बगै़र ख़र्च किये सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ पेश करूँगा।”
\s5
\v 25 तब दाऊद ने उरनान को उस जगह के लिए छ: सौ मिस्क़ाल सोना तौल कर दिया।
\v 26 और दाऊद ने वहाँ ख़ुदावन्द के लिए मज़बह बनाया और सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ और सलामती की क़ुर्बानियाँ पेश कीं और ख़ुदावन्द से दुआ की; और उसने आसमान पर से सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह पर आग भेज कर उसको जवाब दिया।
\v 27 और ख़ुदावन्द ने उस फ़रिश्ते को हुक्म दिया, तब उसने अपनी तलवार फिर मियान में कर ली।
\s5
\v 28 उस वक़्त जब दाऊद ने देखा के ख़ुदावन्द ने यबूसी उरनान के खलिहान में उसको जवाब दिया था, तो उसने वहीं क़ुर्बानी चढ़ाई।
\v 29 क्यूँकि उस वक़्त ख़ुदावन्द का घर जिसे मूसा ने वीरान में बनाया था, और सोख़्तनी क़ुर्बानी का मज़बह जिबा ऊन की ऊँची जगह में थे।
\v 30 लेकिन दाऊद ख़ुदा से पूछने के लिए उसके आगे न जा सका, क्यूँकि वह ख़ुदावन्द के फ़रिश्ता की तलवार की वजह से डर गया।
\s5
\c 22
\p
\v 1 और दाऊद ने कहा, “यही ख़ुदावन्द ख़ुदा का घर और यही इस्राईल की सोख़्तनी क़ुर्बानी का मज़बह है।”
\s खु़दावन्द के घर की तैयारी
\p
\v 2 दाऊद ने हुक्म दिया कि उन परदेसियों को जो इस्राईल के मुल्क में थे जमा' करें, और उसने पत्थरों को तराशने वाले मुक़र्रर किए कि ख़ुदा के घर के बनाने के लिए पत्थर काट कर घड़ें।
\s5
\v 3 और दाऊद ने दरवाज़ों के किवाड़ों की कीलों और क़ब्ज़ों के लिए बहुत सा लोहा, और इतना पीतल कि तौल से बाहर था,
\v 4 और देवदार के बेशुमार लट्ठे तैयार किए, क्यूँकि सैदानी और सूरी देवदार के लट्ठे कसरत से दाऊद के पास लाते थे।
\v 5 और दाऊद ने कहा कि मेरा बेटा सुलेमान लड़का और ना तजुरबेकार है, और ज़रूर है कि वह घर जो ख़ुदावन्द के लिए बनाया जाए निहायत 'अज़ीम — उश — शान हो, और सब मुल्कों में उसका नाम और शोहरत हो। इसलिए मैं उसके लिए तैयारी करूँगा। चुनाँचे दाऊद ने अपने मरने से पहले बहुत तैयारी की।
\s5
\v 6 तब उसने अपने बेटे सुलेमान को बुलाया और उसे ताकीद की कि ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के लिए एक घर बनाए।
\v 7 दाऊद ने अपने बेटे सुलेमान से कहा, यह तो खु़द मेरे दिल में था कि ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के नाम के लिए एक घर बनाऊँ।
\v 8 लेकिन ख़ुदावन्द का कलाम मुझे पहुँचा, कि तू ने बहुत ख़ूँरेज़ी की है और बड़ी बड़ी लड़ाइयाँ लड़ा है; इसलिए तू मेरे नाम के लिए घर न बनाना, क्यूँकि तू ने ज़मीन पर मेरे सामने बहुत ख़ून बहाया है।
\s5
\v 9 देख, तुझ से एक बेटा पैदा होगा, वह मर्द — ए — सुलह होगा; और मैं उसे चारों तरफ़ के सब दुश्मनों से अम्न बख़्शूँगा, क्यूँकि सुलेमान उसका नाम होगा और मैं उसके दिनों में इस्राईल को अम्न — ओ — अमान बख़्शूँगा।
\v 10 वही मेरे नाम के लिए घर बनाएगा। वह मेरा बेटा होगा और मैं उसका बाप हूँगा, और मैं इस्राईल पर उसकी हुकूमत का तख़्त हमेशा तक — क़ाईम रख्खूँगा।
\s5
\v 11 अब ऐ मेरे बेटे ख़ुदावन्द तेरे साथ रहे और तू कामयाब हो और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा का घर बना, जैसा उसने तेरे हक़ में फ़रमाया है।
\v 12 अब ख़ुदावन्द तुझे अक़्ल — ओ — दानाई बख़्शे और इस्राईल के बारे में तेरी हिदायत करे, ताकि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की शरी'अत को मानता रहे।
\v 13 तब तू कामयाब होगा, बशर्ते कि तू उन क़ानून और अहकाम पर जो ख़ुदावन्द ने मूसा को इस्राईल के लिए दिए एहतियात करके 'अमल करे। इसलिए हिम्मत बाँध और हौसला रख, ख़ौफ़ न कर, परेशान न हो।
\s5
\v 14 देख, मैंने मशक़्क़त से ख़ुदावन्द के घर के लिए एक लाख क़िन्तार सोना और दस लाख क़िन्तार चाँदी, और बेअंदाज़ा पीतल और लोहा तैयार किया है क्यूँकि वह कसरत से है, और लकड़ी और पत्थर भी मैंने तैयार किए हैं, और तू उनको और बढ़ा सकता है।
\s5
\v 15 बहुत से कारीगर पत्थर और लकड़ी के काटने और तराशने वाले, और सब तरह के हुनरमन्द जो क़िस्म क़िस्म के काम में माहिर हैं तेरे पास हैं।
\v 16 सोने और चाँदी और पीतल और लोहे का कुछ हिसाब नहीं है। इसलिए उठ और काम में लग जा, और ख़ुदावन्द तेरे साथ रहे।
\s5
\v 17 इसके 'अलावा दाऊद ने इस्राईल के सब सरदारों को अपने बेटे सुलेमान की मदद का हुक्म दिया और कहा,
\v 18 क्या ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा तुम्हारे साथ नहीं है? और क्या उसने तुम को चारों तरफ़ चैन नहीं दिया है? क्यूँकि उसने इस मुल्क के बाशिंदों को मेरे हाथ में कर दिया है, और मुल्क ख़ुदावन्द और उसके लोगों के आगे मग़लूब हुआ है।
\v 19 इसलिए अब तुम अपने दिल को और अपनी जान को ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तलाश में लगाओ, और उठो और ख़ुदावन्द ख़ुदा का मक़दिस बनाओ, ताकि तुम ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को और ख़ुदा के पाक बर्तनों को उस घर में, जो ख़ुदावन्द के नाम का बनेगा ले आओ।
\s5
\c 23
\s लावियों की ज़िम्मेदारियां
\p
\v 1 अब दाऊद बुड्ढा और उम्र — दराज़ हो गया था, तब उसने अपने बेटे सुलेमान को इस्राईल का बादशाह बनाया।
\v 2 उसने इस्राईल के सब सरदारों को, काहिनों और लावियों समेत इकट्ठा किया।
\v 3 तीस बरस के और उससे ज़्यादा उम्र के लावी गिने गए, और उनकी गिनती एक एक आदमी को शुमार करके अठतीस हज़ार थी।
\s5
\v 4 इनमें से चौबीस हज़ार ख़ुदावन्द के घर के काम की निगरानी पर मुक़र्रर हुए, और छ: हज़ार सरदार और मुन्सिफ़ थे,
\v 5 और चार हज़ार दरबान थे, और चार हज़ार उन साज़ों से ख़ुदावन्द की ता'रीफ़ करते थे जिनको मैंने या'नी दाऊद ने ता'रीफ़ और बड़ाई के लिए बनाया था
\v 6 और दाऊद ने उनको जैरसोन, क़िहात और मिरारी नाम बनी लावी के फ़रीक़ों में तक़्सीम किया।
\s जैरसोनी
\s5
\p
\v 7 जैरसोनियों में से यह थे: ला'दान और सिम'ई।
\v 8 ला'दान के बेटे: सरदार यहीएल और जैताम और यूएल, यह तीन थे।
\v 9 सिम'ई के बेटे: सलूमियत और हज़ीएल और हारान, यह तीन थे। यह ला'दान के आबाई ख़ान्दानों के सरदार थे।
\s5
\v 10 और सिम'ई के बेटे यहत, ज़ीना और य'ऊस और बरी'आ, यह चारों सिम'ई के बेटे थे।
\v 11 पहला यहत था, और ज़ीज़ा दूसरा, और य'ऊस और बरी'आ के बेटे बहुत न थे, इस वजह से वह एक ही आबाई ख़ान्दान में गिने गए।
\s क़िहात के लोग
\s5
\p
\v 12 क़िहात के बेटे: 'अमराम, इज़हार, हबरून और 'उज़्ज़ीएल, यह चार थे।
\v 13 अमराम के बेटे: हारून और मूसा थे। हारून अलग किया गया, ताकि वह और उसके बेटे हमेशा पाकतरीन चीज़ों की पाक किया करें, और हमेशा ख़ुदावन्द के आगे ख़ुशबू जलाएँ और उसकी ख़िदमत करें, और उसका नाम लेकर बरकत दें।
\v 14 रहा मर्द — ए — ख़ुदा मूसा, इसलिए उसके बेटे लावी के क़बीले में गिने गए।
\s5
\v 15 मूसा के बेटे: जैरसोम और इली'एलियाज़र थे।
\v 16 और जैरसोम का बेटा सबुएल सरदार था,
\v 17 और इली'एलियाज़र का बेटा रहबियाह सरदार था; और इली'एलियाज़र के और बेटे न थे, लेकिन रहबियाह के बहुत से बेटे थे।
\v 18 इज़हार का बेटा सलूमीत सरदार था।
\s5
\v 19 हबरून के बेटों में पहला यरयाह, अमरियाह दूसरा, यहज़ीएल तीसरा, और यकीमि'आम चौथा था।
\v 20 उज़्ज़ीएल के बेटों में अव्वल मीकाह सरदार और यस्सियाह दूसरा था।
\s5
\v 21 मिरारी के बेटे: महली और मूशी। महली के बेटे: इली'एलियाज़र और क़ीस थे।
\v 22 और इली'एलियाज़र मर गया और उसके कोई बेटा न था सिर्फ़ बेटियाँ थीं, और उनके भाई क़ीस के बेटों ने उनसे ब्याह किया।
\v 23 मूशी के बेटे: महली और 'ऐदर और यरीमोत, येतीन थे।
\s5
\v 24 लावी के बेटे यही थे, जो अपने अपने आबाई ख़ान्दान के मुताबिक़ थे। उनके आबाई ख़ान्दानों के सरदार जैसा वह नाम — ब — नाम एक एक करके गिने गए यही हैं। वह बीस बरस और उससे ऊपर की उम्र से ख़ुदावन्द के घर की ख़िदमत का काम करते थे।
\v 25 क्यूँकि दाऊद ने कहा कि ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा ने अपने लोगों को आराम दिया है, और वह हमेशा तक येरूशलेम में सुकूनत करेगा।
\v 26 और लावियों को भी घर और उसकी ख़िदमत के सब बर्तनों को फिर कभी उठाना न पड़ेगा।
\s5
\v 27 क्यूँकि दाऊद की पिछली बातों के मुताबिक़ बनी लावी जो बीस बरस और उससे ज़्यादा उम्र के थे, गिने गए।
\v 28 क्यूँकि उनका काम यह था कि ख़ुदावन्द के घर की ख़िदमत के वक़्त, सहनों और कोठरियों में और सब मुक़द्दस चीज़ों के पाक करने में, या'नी ख़ुदा के घर की ख़िदमत के काम में, बनी हारून की मदद करें;
\v 29 और नज़्र की रोटी का, और मैदे की नज़्र की क़ुर्बानी का ख़्वाह वह बेख़मीरी रोटियों या तवे पर की पकी हुई चीज़ों या तली हुई चीज़ों की हो, और हर तरह के तौल और नाप का काम करें।
\s5
\v 30 और हर सुबह और शाम को खड़े होकर ख़ुदावन्द की शुक्रगुज़ारी और बड़ाई करें,
\v 31 और सब्तों और नये चाँदों और मुक़र्ररा 'ईदों में, हमेशा ख़ुदावन्द के सामने पूरी ता'दाद में सब सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ उस क़ाइदे के मुताबिक़ जो उनके बारे में है पेश करें।
\s5
\v 32 और ख़ुदावन्द के घर की ख़िदमत को अन्जाम देने के लिए ख़ेमा — ए — इजितमा'अ की हिफ़ाज़त और मक़दिस की निगरानी और अपने भाई बनी हारून की इता'अत करें।
\s5
\c 24
\s क़ाहिन की ज़िम्मेदारियां
\p
\v 1 और बनी हारून के फ़रीक़ यह थे हारून के बेटे नदब, अबीहू और इली'एलियाज़र और ऐतामर थे।
\v 2 नदब और अबीहू अपने बाप से पहले मर गए और उनके औलाद न थी, इसलिए इली'एलियाज़र और ऐतामर ने कहानत का काम किया।
\v 3 दाऊद ने इली'एलियाज़र के बेटों में से सदोक़, और ऐतामर के बेटों में से अख़ीमलिक को उनकी ख़िदमत की तरतीब के मुताबिक़ तक़्सीम किया।
\s5
\v 4 इतमर के बेटों से ज़्यादा इली'एलियाज़र के बेटों में रईस मिले, और इस तरह से वह तक़्सीम किए गए के इली'एलियाज़र के बेटों में आबाई ख़ान्दानों के सोलह सरदार थे; और ऐतामर के बेटों में से आबाई ख़ान्दानों के मुताबिक़ आठ।
\v 5 इस तरह पर्ची डाल कर और एक साथ ख़ल्त मल्त होकर वह तक़्सीम हुए, क्यूँकि मक़दिस के सरदार और ख़ुदा के सरदार बनी इली'एलियाज़र और बनी ऐतामर दोनों में से थे।
\s5
\v 6 और नतनीएल मुन्शी के बेटे समायाह ने जो लावियों में से था, उनके नामों को बादशाह और अमीरों और सदोक़ काहिन और अख़ीमलिक बिन अबीयातर और काहिनों और लावियों के आबाई ख़ान्दानों के सरदारों के सामने लिखा। जब इली'एलियाज़र का एक आबाई ख़ान्दान लिया गया, तो ऐतामर का भी एक आबाई ख़ान्दान लिया गया।
\s5
\v 7 और पहली चिट्ठी यहूयरीब की निकली, दूसरी यद'अयाह की,
\v 8 तीसरी हारिम की, चौथी श'ऊरीम,
\v 9 पाँचवीं मलकियाह की, छटी मियामीन की
\v 10 सातवीं हक्कूज़ की, आठवीं अबियाह की,
\s5
\v 11 नवीं यशू'आ की, दसवीं सिकानियाह की,
\v 12 ग्यारहवीं इलियासब की, बारहवीं यक़ीम की,
\v 13 तेरहवीं खुफ़्फ़ाह की, चौदहवीं यसबाब की,
\v 14 पन्द्रहवीं बिल्जाह की, सोलहवीं इम्मेर की,
\s5
\v 15 सत्रहवीं हज़ीर की, अठारहवीं फ़ज़ीज़ की,
\v 16 उन्नीसवीं फ़तहियाह की, बीसवीं यहज़िकेल की,
\v 17 इक्कीसवीं यकिन की, बाइसवीं जम्मूल की,
\v 18 तेइसवीं दिलायाह की, चौबीसवीं माज़ियाह की।
\s5
\v 19 यह उनकी ख़िदमत की तरतीब थी, ताकि वह ख़ुदावन्द के घर में उस क़ानून के मुताबिक़ आएँ जो उनको उनके बाप हारून की ज़रिए' वैसा ही मिला, जैसा ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा ने उसे हुक्म किया था।
\s5
\v 20 बाक़ी बनी लावी में से:'अमराम के बेटों में से सूबाएल, सूबाएल के बेटों में से यहदियाह;
\v 21 रहा रहबियाह, सो रहबियाह के बेटों में से पहला यस्सियाह।
\v 22 इज़हारियों में से सलूमोत, बनी सलूमोत में से यहत।
\s5
\v 23 बनी हबरून में से:यरियाह पहला, अमरियाह दूसरा, यहज़िएल तीसरा, यकमि'आम चौथा।
\v 24 बनी उज़्ज़ीएल में से:मीकाह; बनी मीकाह में से:समीर।
\v 25 मीकाह का भाई यस्सियाह, बनी यस्सियाह में से ज़करियाह।
\s5
\v 26 मिरारी के बेटे: महली और मूशी। बनी याज़ियाह में से बिनू
\v 27 रहे बनी मिरारी, सो याज़ियाह से बिनू और सूहम और ज़क्कूर और 'इब्री।
\v 28 महली से:इली'एलियाज़र, जिसके कोई बेटा न था।
\s5
\v 29 क़ीस से, क़ीस का बेटा: यरहमिएल।
\v 30 और मूशी के बेटे: महली और 'ऐदर और यरीमीत। लावियों की औलाद अपने आबाई ख़ान्दानों के मुताबिक़ यही थी।
\v 31 इन्होंने भी अपने भाई बनी हारून की तरह, दाऊद बादशाह और सदूक़ और अख़ीमलिक और काहिनों और लावियों के आबाई ख़ान्दानों के सरदारों के सामने अपना अपनी पर्ची डाला, या'नी सरदार के आबाई ख़ान्दानों का जो हक़ था वही उसके छोटे भाई के ख़ान्दानों का था।
\s5
\c 25
\s म़ौसीकारों की ज़िम्मेदारियां
\p
\v 1 फिर दाऊद और लश्कर के सरदारों ने आसफ़ और हैमान और यदूतून के बेटों में से कुछ को ख़िदमत के लिए अलग किया, ताकि वह बरबत और सितार और झाँझ से नबुव्वत करें; और जो उस काम को करते थे उनका शुमार उनकी ख़िदमत के मुताबिक़ यह था:
\v 2 आसफ़ के बेटों में से ज़क्कूर, यूसुफ़, नतनियाह और असरीलाह; आसफ़ के यह बेटे आसफ़ के मातहत थे, जो बादशाह के हुक्म के मुताबिक़ नबुव्वत करता था।
\v 3 यदूतून से बनी यदूतून, सो जिदलियाह, ज़री और यसा'याह, हसबियाह और मतितियाह, यह छ: अपने बाप यदूतून के मातहत थे जो बरबत लिए रहता और ख़ुदावन्द की शुक्रगुज़ारी और हम्द करता हुआ नबुव्वत करता था।
\s5
\v 4 रहा हैमान, वह हैमान के बेटे: बुक़्क़याह, मत्तनियाह, 'उज़्ज़ीएल, सबूएल यरीमोत, हनानियाह, हनानी, इलियाता, जिद्दाल्ती, रूमम्ती'अज़र, यसबिक़ाशा, मल्लूती, हौतीर, और महाज़ियोत;
\v 5 यह सब हैमान के बेटे थे, जो ख़ुदा की बातों में सींग बुलन्द करने के लिए बादशाह का गै़बबीन था; और ख़ुदा ने हैमान को चौदह बेटे और तीन बेटियाँ दी थीं।
\s5
\v 6 यह सब ख़ुदावन्द के घर में हम्द करने के लिए अपने बाप के मातहत थे, और झाँझ और सितार और बरबत से ख़ुदा के घर की ख़िदमत करते थे। आसफ़ और यदूतून और हैमान बादशाह के हुक्म के ताबे' थे
\v 7 उनके भाइयों समेत जो ख़ुदावन्द की ता'रीफ़ और बड़ाई की ता'लीम पा चुके थे, या'नी वह सब जो माहिर थे, उनका शुमार दो सौ अठासी था।
\v 8 और उन्होंने क्या छोटे क्या बड़े क्या उस्ताद क्या शागिर्द, एक ही तरीक़े से अपनी अपनी ख़िदमत के लिए पर्ची डाला।
\s5
\v 9 पहली चिट्ठी आसफ़ की यूसुफ़ को मिली, दूसरी जिदलियाह को, और उसके भाई और बेटे उस समेत बारह थे।
\v 10 तीसरी ज़क्कूर को, और उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 11 चौथी यिज़री को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 12 पाँचवीं नतनियाह को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\s5
\v 13 छटी बुक्कयाह को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 14 सातवीं यसरीलाह को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 15 आठवीं यसा'याह को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 16 नवीं मत्तनियाह को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\s5
\v 17 दसवीं सिमई को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 18 ग्यारहवीं 'अज़रएल को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 19 बारहवीं हसबियाह को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 20 तेरहवीं सबूएल को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\s5
\v 21 चौदहवीं मतितियाह को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 22 पंद्रहवीं यरीमोत को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 23 सोलहवीं हनानियाह को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 24 सत्रहवीं यसबिक़ाशा को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\s5
\v 25 अठारहवीं हनानी को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 26 उन्नीसवीं मल्लूती को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 27 बीसवीं इलियाता को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 28 इक्कीसवीं हौतीर को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\s5
\v 29 बाइसवीं जिद्दाल्ती को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 30 तेइसवीं महाज़ियोत को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\v 31 चौबीसवीं रूमम्ती 'एलियाज़र को, उसके बेटे और भाई उस समेत बारह थे।
\s5
\c 26
\s दरबानों की ज़िम्मेदारियां
\p
\v 1 दरबानों के फ़रीक़ यह थे: क़ुरहियों में मसलमियाह बिन कूरे, जो बनी आसफ़ में से था;
\v 2 और मसलमियाह के यहाँ बेटे थे: ज़करियाह पहलौठा, यदी'एल दूसरा, जबदियाह तीसरा, यतनीएल चौथा,
\v 3 ऐलाम पाँचवाँ, यहूहानान छटा, इलीहू'ऐनी सातवाँ था।
\s5
\v 4 और 'ओबेदअदोम के यहाँ बेटे थे: समायाह पहलौठा, यहूज़बा'द दूसरा, यूआख़ तीसरा, और सकार चौथा, और नतनीएल पाँचवाँ,
\v 5 'अम्मीएल छटा, इश्कार सातवाँ, फ़'उलती आठवाँ; क्यूँकि ख़ुदा ने उसे बरकत बख़्शी थी।
\v 6 उसके बेटे समायाह के यहाँ भी बेटे पैदा हुए, जो अपने आबाई खानदान पर सरदारी करते थे क्यूँकि वह ताक़तवर सूर्मा थे।
\s5
\v 7 समायाह के बेटे: उतनी और रफ़ाएल और 'ओबेद और इलज़बा'द, जिनके भाई इलीहू और समाकियाह सूर्मा थे।
\v 8 यह सब 'ओबेदअदोम की औलाद में से थे। वह और उनके बेटे और उनके भाई ख़िदमत के लिए ताक़त के 'ऐतबार से क़ाबिल आदमी थे, यूँ 'ओबेदअदोमी बासठ थे।
\v 9 मसलमियाह के बेटे और भाई अठारह सूर्मा थे।
\s5
\v 10 और बनी मिरारी में से हूसा के हाँ बेटे थे: सिमरी सरदार था वह पहलौठा तो न था, लेकिन उसके बाप ने उसे सरदार बना दिया था,
\v 11 दूसरा खिलक़ियाह, तीसरा तबलयाह, चौथा ज़करियाह; हूसा के सब बेटे और भाई तेरह थे।
\s5
\v 12 इन्ही में से या'नी सरदारों में से दरबानों के फ़रीक़ थे, जिनका ज़िम्मा अपने भाइयों की तरह ख़ुदावन्द के घर में ख़िदमत करने का था।
\v 13 और उन्होंने क्या छोटे क्या बड़े, अपने अपने आबाई ख़ान्दान के मुताबिक़ हर एक फाटक के लिए पर्ची डाला।
\v 14 पूरब की तरफ़ का पर्ची सलमियाह के नाम निकला। फिर उसके बेटे ज़करियाह के लिए भी, जो 'अक़्लमन्द सलाहकार था, पर्चा डाला गया और उसका पर्चा शिमाल की तरफ़ का निकला।
\s5
\v 15 'ओबेदअदोम के लिए जुनूब की तरफ़ का था, और उसके बेटों के लिए ग़ल्लाखाना का।
\v 16 सुफ़्फ़ीम और हूसा के लिए पश्चिम की तरफ़ सलकत के फाटक के नज़दीक का, जहाँ से ऊँची सड़क ऊपर जाती है ऐसा कि आमने सामने होकर पहरा दें।
\s5
\v 17 पूरब की तरफ़ छ: लावी थे, उत्तर की तरफ़ हर रोज़ चार, दक्खिन की तरफ़ हर रोज़ चार, और तोशाख़ाने के पास दो दो।
\v 18 पश्चिम की तरफ़ परबार के लिए चार तो ऊँची सड़क पर और दो परबार के लिए।
\v 19 बनी कोरही और बनी मिरारी में से दरबानों के फ़रीक़ यही थे।
\s5
\v 20 लावियों में से अख़ियाह ख़ुदा के घर के ख़ज़ानों और नज़्र की चीज़ों के ख़ज़ानों पर मुक़र्रर था।
\v 21 बनी ला'दान: इसलिए ला'दान के ख़ान्दान के जैरसोनियों के बेटे, जो उन आबाई ख़ान्दानों के सरदार थे, जो जैरसोनी ला'दान से त'अल्लुक रखते थे यह थे: यहीएली।
\v 22 और यहीएली के बेटे: जैताम और उसका भाई यूएल, ख़ुदावन्द के घर के खज़ानों पर थे।
\s5
\v 23 अमरामियों, इज़हारियों, हबरूनियों और उज़्ज़ीएलियों में से:
\v 24 सबुएल बिन जैरसोम बिन मूसा, बैत — उल — माल पर मुख़्तार था।
\v 25 और उसके भाई इली'एलियाज़र की तरफ़ से:उसका बेटा रहबियाह, रहबिया का बेटा यसा'याह, यसा'याह का बेटा यूराम, यूराम का बेटा ज़िकरी, ज़िकरी का बेटा सल्लूमीत।
\s5
\v 26 यह सल्लूमीत और उसके भाई नज़्र की हुई चीज़ों के सब ख़ज़ानों पर मुक़र्रर थे, जिनको दाऊद बादशाह और आबाई ख़ान्दानों के सरदारों और हज़ारों और सैकड़ों के सरदारों और लश्कर के सरदारों ने नज़्र किया था।
\v 27 लड़ाइयों की लूट में से उन्होंने ख़ुदावन्द के घर की मरम्मत के लिए कुछ नज़्र किया था।
\v 28 समुएल गै़बबीन और साऊल बिन क़ीस और अबनेर बिन नेर और योआब बिन ज़रोयाह की सारी नज़्र, ग़रज़ जो कुछ किसी ने नज़्र किया था वह सब सल्लूमीत और उसके भाइयों के हाथ में सुपुर्द था।
\s5
\v 29 इज़हारियों में से कनानियाह और उसके बेटे, इस्राईलियों पर बाहर के काम के लिए हाकिम और क़ाज़ी थे।
\v 30 हबरूनियों में से हसबियाह और उसके भाई, एक हज़ार सात सौ सूर्मा, मग़रिब की तरफ़ यरदन पार के इस्राईलियों की निगरानी की ख़ातिर ख़ुदावन्द के सब काम और बादशाह की ख़िदमत के लिए तैनात थे।
\s5
\v 31 हबरूनियों में यरयाह, हबरूनियों का उनके आबाई ख़ान्दानों के नस्बों के मुताबिक़ सरदार था। दाऊद की हुकूमत के चालीसवें बरस में वह ढूँड निकाले गए, और जिल'आद के या'ज़ेर में उनके बीच ताक़तवर सूर्मा मिले।
\v 32 उसके भाई, दो हज़ार सात सौ सूर्मा और आबाई ख़ान्दानों के सरदार थे, जिनकी दाऊद बादशाह ने रूबीनियों और जहियों और मनस्सी के आधे क़बीले पर ख़ुदा के हर एक काम और शाही मु'आमिलात के लिए सरदार बनाया।
\s5
\c 27
\s फ़ौज के सिपाह सलार और हिस्से
\p
\v 1 और बनी इस्राईल अपने शुमार के मुवाफ़िक़ या'नी आबाई ख़ान्दानों के रईस और हज़ारों और सैकड़ों के सरदार और उनके मन्सबदार जो उन फ़रीक़ों के हर हाल में बादशाह की ख़िदमत करते थे, जो साल के सब महीनों में माह — ब — माह आते और रुख़्सत होते थे, हर फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\v 2 पहले महीने के पहले फ़रीक़ पर यसुबि'आम बिन ज़बदिएल था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\v 3 वह बनी फ़ारस में से था और पहले महीने के लश्कर के सब सरदारों का रईस था।
\s5
\v 4 दूसरे महीने के फ़रीक़ पर दूदे अखूही था, और उसके फ़रीक़ में मिकलोत भी सरदार था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे
\v 5 तीसरे महीने के लश्कर का ख़ास तीसरा सरदार यहूयदा' काहिन का बेटा बिनायाह था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\v 6 यह वह बिनायाह है जो तीसों में ज़बरदस्त और उन तीसों के ऊपर था; उसी के फ़रीक़ में उसका बेटा 'अम्मीज़बा'द भी शामिल था।
\s5
\v 7 चौथे महीने के लिए योआब का भाई 'असाहील था, और उसके पीछे उसका बेटा ज़बदियाह था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\v 8 पाँचवें महीने के लिए पाँचवाँ सरदार समहूत इज़राख़ी था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\v 9 छटे महीने के लिए छटा सरदार तक़ू'अ 'इक्कीस का बेटा ईरा था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\s5
\v 10 सातवें महीने के लिए सातवाँ सरदार बनी इफ़्राईम में से फ़लूनीख़लस था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\v 11 आठवे महीने के लिए आठवाँ सरदार ज़ारहियों में से हूसाती सिब्बकी था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\v 12 नवें महीने के लिए नवाँ सरदार बिनयमीनियों में से 'अन्तोती अबी'अज़र था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\s5
\v 13 दसवें महीने के लिए दसवाँ सरदार ज़ारहियों में से नतूफ़ाती महरी था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\v 14 ग्यारहवें महीने के लिए ग्यारहवाँ सरदार बनी इफ़्राईम में से फ़र'आतीनी बिनायाह था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\v 15 बारहवें महीने के लिए बारहवाँ सरदार गुतनीएलियों में से नतूफ़ाती ख़ल्दी था, और उसके फ़रीक़ में चौबीस हज़ार थे।
\s5
\v 16 इस्राईल के क़बीलों पर रूबीनियों का सरदार इली'एलियाज़र बिन ज़िकरी था, शमौनियों का सफ़तियाह बिन मा'का;
\v 17 लावियों का हसबियाह बिन क़मूएल, हारून के घराने का सदोक़;
\v 18 यहूदाह का इलीहू, जो दाऊद के भाइयों में से था; इश्कार का 'उमरी बिन मीकाएल;
\s5
\v 19 ज़बूलून का इसमाइयाह बिन 'अबदियाह, नफ़्ताली का यरीमोत बिन 'अज़रिएल;
\v 20 बनी इफ़्राईम का हूसी'अ बिन 'अज़ाज़ियाह, मनस्सी के आधे क़बीले का यूएल बिन फ़िदायाह;
\v 21 जिल'आद में मनस्सी के आधे क़बीले का 'ईदू बिन ज़करियाह, बिनयमीन का या'सीएल बिन अबनेर;
\v 22 दान का 'अज़रि'एल बिन यरोहाम। यह इस्राईल के क़बीलों के सरदार थे।
\s5
\v 23 लेकिन दाऊद ने उनका शुमार नहीं किया था जो बीस बरस या कम उम्र के थे, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने कहा था कि मैं इस्राईल को आसमान के तारों की तरह बढ़ाऊँगा।
\v 24 ज़रोयाह के बेटे योआब ने गिनना तो शुरू 'किया, लेकिन ख़त्म नहीं किया था कि इतने में इस्राईल पर क़हर नाज़िल हुआ, और न वह ता'दाद दाऊद बादशाह की तवारीख़ी ता'दादों में दर्ज हुई।
\s5
\v 25 शाही ख़ज़ानों पर 'अज़मावत बिन 'अदिएल मुक़र्रर था, और खेतों और शहरों और गाँव और क़िलों' के ख़ज़ानों पर यूनतन बिन उज़्ज़ियाह था;
\v 26 और काश्तकारी के लिए खेतों में काम करनेवालों पर 'अज़री बिन कलूब था;
\v 27 और अंगूरिस्तानों पर सिम'ई रामाती था, और मय के ज़ख़ीरों के लिए अंगूरिस्तानों की पैदावार पर ज़बदी शिफ़मी था;
\s5
\v 28 और जै़तून के बाग़ों और गूलर के दरख़्तों पर जो नशेब के मैदानों में थे, बा'ल हनान जदरी था; और यूआस तेल के गोदामों पर;
\v 29 और गाय — बैल के गल्लों पर जो शारून में चरते थे, सितरी शारूनी था; और साफ़त बिन 'अदली गाय — बैल के उन गल्लों पर था जो वादियों में थे;
\s5
\v 30 और ऊँटों पर इस्माईली ओबिल था, और गधों पर यहदियाह मरूनोती था;
\v 31 और भेड़ — बकरी के रेवड़ों पर याज़ीज़ हाजिर था। यह सब दाऊद बादशाह के माल पर मुक़र्रर थे।
\s5
\v 32 दाऊद का चचा योनतन सलाह कार और अक़्लमंद और मुन्शी था, और यहीएल बिन हकमूनी शहज़ादों के साथ रहता था।
\v 33 अख़ीतुफ्फ़ल बदशाह का सलाह कार था, और हूसीअरकी बादशाह का दोस्त था।
\v 34 और अख़ीतुफ्फ़ल से नीचे यहूयदा' बिन बिनायाह और अबीयातर थे, और शाही फ़ौज का सिपहसालार योआब था।
\s5
\c 28
\s दाऊद का सुलेमान को हिदायत देना
\p
\v 1 दाऊद ने इस्राईल के सब हाकिमों को जो क़बीलों के सरदार थे, और उन फ़रीक़ों के सरदारों को जो बारी बारी बादशाह की ख़िदमत करते थे, और हज़ारों के सरदारों और सैकड़ों के सरदारों, और बादशाह के और उसके बेटों के सब माल और मवेशी के सरदारों, और ख़्वाजा सराओं और बहादुरों बल्कि सब ताक़तवर सूर्माओं को येरूशलेम में इकट्ठा किया।
\s5
\v 2 तब दाऊद बादशाह अपने पाँव पर उठ खड़ा हुआ, और कहने लगा, ऐ मेरे भाइयों और मेरे लोगों, मेरी सुनो! मेरे दिल में तो था कि ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ के लिए आरामगाह, और अपने ख़ुदा के लिए पाँव की कुर्सी बनाऊँ, और मैंने उसके बनाने की तैयारी भी की;
\v 3 लेकिन ख़ुदा ने मुझ से कहा कि तू मेरे नाम के लिए घर नहीं बनाने पाएगा, क्यूँकि तू जंगी मर्द है और तू ने ख़ूनबहाया है।
\s5
\v 4 तो भी ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा ने मुझे मेरे बाप के सारे घराने में से चुन लिया कि मैं हमेशा इस्राईल का बादशाह रहूँ, क्यूँकि उसने यहूदाह को रहनुमा होने के लिए मुन्तख़ब किया; और यहूदाह के घराने में से मेरे बाप के घराने को चुना है, और मेरे बाप के बेटों में से मुझे पसंद किया ताकि मुझे सारे इस्राईल का बादशाह बनाए।
\v 5 और मेरे सब बेटों में से क्यूँकि ख़ुदावन्द ने मुझे बहुत से बेटे दिए हैं उसने मेरे बेटे सुलेमान को पसंद किया, ताकि वह इस्राईल पर ख़ुदावन्द की हुकूमत के तख़्त पर बैठे।
\s5
\v 6 उसने मुझ से कहा, 'तेरा बेटा सुलेमान मेरे घर और मेरी बारगाहों को बनाएगा, क्यूँकि मैंने उसे चुन लिया है कि वह मेरा बेटा हो और मैं उसका बाप हूँगा।
\v 7 और अगर वह मेरे हुक्मों और फ़रमानों पर 'अमल करने में साबित क़दम रहे जैसा आज के दिन है, तो मैं उसकी बादशाही हमेशा तक क़ाईम रखूँगा।
\s5
\v 8 फिर अब सारे इस्राईल या'नी ख़ुदावन्द की जमा'अत के सामने और हमारे ख़ुदा के सामने, तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सब हुक्मों को मानो और उनके तालिब हो, ताकि तुम इस अच्छे मुल्क के वारिस हो; और उसे अपने बाद अपनी औलाद के लिए हमेशा के लिए मीरास छोड़ जाओ।
\s5
\v 9 और तू ऐ मेरे बेटे सुलेमान, अपने बाप के ख़ुदा को पहचान और पूरे दिल और रूह की मुस्त'इदी से उसकी 'इबा'दत कर; क्यूँकि ख़ुदावन्द सब दिलों को जाँचता है, और जो कुछ ख़्याल में आता है उसे पहचानता है। अगर तू उसे ढूँडे तो वह तुझ को मिल जाएगा, और अगर तू उसे छोड़े तो वह हमेशा के लिए तुझे रद्द कर देगा।
\v 10 इसलिए होशियार हो, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने तुझ को मक़दिस के लिए एक घर बनाने को चुना है, इसलिए हिम्मत बाँध कर काम कर।
\s5
\v 11 तब दाऊद ने अपने बेटे सुलेमान को हैकल के उसारे और उसके मकानों और ख़ज़ानों और बालाख़ानों और अन्दर की कोठरियों और कफ़्फ़ारागाह की जगह का नमूना,
\v 12 और उन सब चीज़ों, या'नी ख़ुदावन्द के घर के सहनों और आस पास की कोठरियों और ख़ुदा के घर के ख़ज़ानों और नज़्र की हुई चीज़ों के ख़ज़ानों का नमूना भी दिया जो, उसको रूह' से मिला था;
\s5
\v 13 और काहिनों और लावियों के फ़रीक़ों और ख़ुदावन्द के घर की इबादत के सब काम और ख़ुदावन्द के घर की इबादत के सब बर्तन के लिए,
\v 14 या'नी सोने के बर्तनों के वास्ते सोना तोल कर हर तरह की ख़िदमत के सब बर्तनों के लिए, और चाँदी के सब बर्तनों के वास्ते चाँदी तौल कर हर तरह की ख़िदमत के सब बर्तनों के लिए,
\v 15 और सोने के शमा'दानों और उसके चिराग़ों के लिए एक एक शमा'दान, और उसके चराग़ों का सोना तोल कर; और चाँदी के शमा'दानों के लिए एक एक शमा'दान, और उसके चराग़ों के लिए हर शमा'दान के इस्ते'माल के मुताबिक़ चाँदी तौल कर;
\s5
\v 16 और नज़्र की रोटी की मेज़ों के वास्ते एक एक मेज़ के लिए सोना तोल कर, और चाँदी की मेज़ों के लिए चाँदी;
\v 17 और काँटों और कटोरों और प्यालों के लिए ख़ालिस सोना दिया, और सुनहले प्यालों के लिए एक एक प्याले के लिए तौल कर, और चाँदी के प्यालों के वास्ते एक एक प्याले के लिए तौल कर;
\s5
\v 18 और ख़ुशबू की क़ुर्बानगाह के लिए चोखा सोना तौल कर, और रथ के नमूने या'नी उन करूबियों के लिए जो पर फैलाए ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को ढाँके हुए थे, सोना दिया।
\v 19 यह सब या'नी इस नमूने के सब काम ख़ुदावन्द के हाथ की तहरीर से मुझे समझाए गए।
\s5
\v 20 दाऊद ने अपने बेटे सुलेमान से कहा, हिम्मत बाँध और हौसले से काम कर, ख़ौफ़ न कर, परेशान न हो, क्यूँकि ख़ुदावन्द ख़ुदा जो मेरा ख़ुदा है तेरे साथ है। वह तुझ कोन छोड़ेगा और न छोड़ा करेगा, जब तक ख़ुदावन्द के घर की ख़िदमत का सारा काम तमाम न हो जाए।
\v 21 और देख, काहिनों और लावियों के फ़रीक़ ख़ुदा के घर की सारी ख़िदमत के लिए हाज़िर हैं, और हर क़िस्म की ख़िदमत के लिए सब तरह के काम में हर शख़्स जो माहिर है बख़ुशी तेरे साथ हो जाएगा; और लश्कर के सरदार और सब लोग भी तेरे हुक्म में होंगे।
\s5
\c 29
\s खु़दावन्दे के गर की ईमारत के लिये हदिया
\p
\v 1 और दाऊद बादशाह ने सारी जमा'अत से कहा कि ख़ुदा ने सिर्फ़ मेरे बेटे सुलेमान को चुना है, और वह अभी लड़का और नातज़ुरबेकार है; और काम बड़ा है, क्यूँकि वह महल इंसान के लिए नहीं बल्कि ख़ुदावन्द ख़ुदा के लिए है।
\v 2 और मैंने तो अपने मक़दूर भर अपने ख़ुदा की हैकल के लिए सोने की चीज़ों के लिए सोना, और चाँदी की चीज़ों के लिए चाँदी, और पीतल की चीज़ों के लिए पीतल, लोहे की चीज़ों के लिए लोहा, और लकड़ी की चीज़ों के लिए लकड़ी, और 'अक़ीक़ और जड़ाऊ पत्थर और पच्ची के काम के लिए रंग बिरंग के पत्थर, और हर क़िस्म के बेशक़ीमत जवाहिर और बहुत सा संग — ए — मरमर तैयार किया है।
\s5
\v 3 और चूँकि मुझे अपने ख़ुदा के घर की लौ लगी है और मेरे पास सोने और चाँदी का मेरा अपना ख़ज़ाना है, इसलिए मैं उसकी भी उन सब चीज़ों के 'अलावा जो मैंने उस मुक़द्दस हैकल के लिए तैयार की हैं, अपने ख़ुदा के घर के लिए देता हूँ।
\v 4 या'नी तीन हज़ार क़िन्तार सोना जो ओफ़ीर सोना है, और सात हज़ार क़िन्तार ख़ालिस चाँदी 'इमारतों की दीवारों पर मढ़ने के लिए;
\v 5 और कारीगरों के हाथ के हर क़िस्म के काम के लिए सोने की चीज़ों के लिए सोना, और चाँदी की चीज़ों के लिए चाँदी है। तो कौन तैयार है कि अपनी ख़ुशी से अपने आपको आज ख़ुदावन्द के लिए मख़्सूस' करे?
\s5
\v 6 तब आबाई ख़ान्दानों के सरदारों और इस्राईल के क़बीलों के सरदारों और हज़ारों और सैंकड़ों के सरदारों और शाही काम के नाज़िमों ने अपनी ख़ुशी से तैयार होकर,
\v 7 ख़ुदा के घर के काम के लिए, सोना पाँच हज़ार क़िन्तार और दस हज़ार दिरहम, और चाँदी दस हज़ार क़िन्तार, और पीतल अठारह हज़ार क़िन्तार, और लोहा एक लाख क़िन्तार दिया।
\s5
\v 8 और जिनके पास जवाहर थे, उन्होंने उनकी जैरसोनी यहीएल के हाथ में ख़ुदावन्द के घर के ख़ज़ाने के लिए दे डाला।
\v 9 तब लोग शादमान हुए, इसलिए कि उन्होंने अपनी ख़ुशी से दिया क्यूँकि उन्होंने पूरे दिल से रज़ामन्दी से ख़ुदावन्द के लिए दिया था; और दाऊद बादशाह भी निहायत शादमान हुआ।
\s5
\v 10 फिरदाऊद ने सारी जमा'अत के आगे ख़ुदावन्द का शुक्र किया, और दाऊद कहने लगा, ऐ ख़ुदावन्द, हमारे बाप इस्राईल के ख़ुदा! तू हमेशा से हमेशा तक मुबारक हो।
\v 11 ऐ ख़ुदावन्द, 'अज़मत और क़ुदरत और जलाल और ग़लबा और हशमत तेरे ही लिए हैं, क्यूँकि सब कुछ जो आसमान और ज़मीन में है तेरा है। ऐ ख़ुदावन्द, बादशाही तेरी है, और तू ही बहैसियत — ए — सरदार सभों से मुम्ताज़ है।
\s5
\v 12 और दौलत और 'इज़्ज़त तेरी तरफ़ से आती है, और तू सभों पर हुकूमत करता है, और तेरे हाथ में क़ुदरत और तवानाई हैं, और सरफ़राज़ करना और सभों को ज़ोर बख़्शना तेरे हाथ में है।
\v 13 और अब ऐ हमारे ख़ुदा, हम तेरा शुक्र और तेरे जलाली नाम की ता'रीफ़ करते हैं।
\s5
\v 14 लेकिन मैं कौन और मेरे लोगों की हक़ीक़त क्या कि हम इस तरह से ख़ुशी ख़ुशी नज़राना देने के क़ाबिल हों? क्यूँकि सब चीजें तेरी तरफ़ से मिलती हैं, और तेरी ही चीज़ों में से हम ने तुझे दिया है।
\v 15 क्यूँकि हम तेरे आगे परदेसी और मुसाफ़िर हैं जैसे हमारे सब बाप — दादा थे। हमारे दिन रू — ए — ज़मीन पर साये की तरह हैं, और क़याम नसीब नहीं।
\s5
\v 16 ऐ ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा, यह सारा ज़ख़ीरा जो हम ने तैयार किया है कि तेरे पाक नाम के लिए एक घर बनाएँ, तेरे ही हाथ से मिला है और सब तेरा ही है।
\v 17 ऐ मेरे ख़ुदा, मैं यह भी जानता हूँ कि तू दिल को जाँचता है, और रास्ती में तेरी खुशनूदी है। मैंने तो अपने दिल की रास्ती से यह सब कुछ रज़ामंदी से दिया, और मुझे तेरे लोगों को जो यहाँ हाज़िर हैं, तेरे सामने ख़ुशी ख़ुशी देते देख कर ख़ुशी हासिल हुई।
\s5
\v 18 ऐ ख़ुदावन्द, हमारे बाप — दादा अब्रहाम, इज़्हाक और इस्राईल के ख़ुदा, अपने लोगों के दिल के ख़्याल और तसव्वुर में यह बात सदा जमाए रख, और उनके दिल को अपनी जानिब मुसत'ईद कर।
\v 19 और मेरे बेटे सुलेमान को ऐसा कामिल दिल 'अता कर कि वह तेरे हुक्मों और शहादतों और क़ानून को माने और इन सब बातों पर 'अमल करे, और उस हैकल को बनाए जिसके लिए मैंने तैयारी की है।
\s5
\v 20 फिर दाऊद ने सारी जमा'अत से कहा, अब अपने ख़ुदावन्द ख़ुदा को मुबारक कहो। तब सारी जमा'अत ने ख़ुदावन्द अपने बाप — दादा के ख़ुदा को मुबारक कहा, और सिर झुकाकर उन्होंने ख़ुदावन्द और बादशाह के आगे सिज्दा किया।
\v 21 दूसरे दिन ख़ुदावन्द के लिए ज़बीहों को ज़बह किया और ख़ुदावन्द के लिए सोख़्तनी कु़र्बानियाँ पेश कीं, या'नी एक हज़ार बैल और एक हज़ार मेंढे और एक हज़ार बर्रे म'ए उनके तपावनों के चढ़ाए, और बकसरत कु़र्बानियाँ कीं जो सारे इस्राईल के लिए थीं।
\s5
\v 22 और उन्होंने उस दिन निहायत ख़ुशी के साथ ख़ुदावन्द के आगे खाया — पिया और उन्होंने दूसरी बार दाऊद के बेटे सुलेमान को बादशाह बनाकर, उसको ख़ुदावन्द की तरफ़ से पेशवा होने और सदोक़ को काहिन होने के लिए मसह किया।
\v 23 तब सुलेमान ख़ुदावन्द के तख़्त पर अपने बाप दाऊद की जगह बादशाह होकर बैठा और कामयाब हुआ, और सारा इस्राईल उसका फ़रमाँबरदार हुआ।
\s5
\v 24 और सब हाकिम और बहादुर और दाऊद बादशाह के सब बेटे भी सुलेमान बादशाह के फ़रमाँबरदार हुए।
\v 25 और ख़ुदावन्द ने सारे इस्राईल की नज़र में सुलेमान को निहायत सरफ़राज़ किया, और उसे ऐसा शाहाना दबदबा 'इनायत किया जो उससे पहले इस्राईल में किसी बादशाह को नसीब न हुआ था।
\s5
\v 26 दाऊद बिन यस्सी ने सारे इस्राईल पर हुकूमत की;
\v 27 और वह 'अर्सा जिसमें उसने इस्राईल पर हुकूमत की चालीस बरस का था। उसने हबरून में सात बरस और येरूशलेम में तैतीस बरस हुकू़मत की।
\v 28 और उसने निहायत बुढ़ापे में ख़ूब उम्र रसीदा और दौलत — ओ — इज़्ज़त से आसूदा होकर वफ़ात पाई, और उसका बेटा सुलेमान उसकी जगह बादशाह हुआ।
\s5
\v 29 दाऊद बादशाह के काम शुरू' सर तक, आख़िर सब के सब समुएल नबी की तवारीख़ में और नातन नबी की तवारीख़ में और जाद नबी की तवारीख़ में,
\v 30 या'नी उसकी सारी हुकूमत और ज़ोर और जो ज़माने उस पर और इस्राईल पर और ज़मीन की सब ममलुकतों पर गुज़रे, सब उनमें लिखे हैं।