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पौलुस अपनी अन्तरात्मा में और अपनी देह के अंगों में कौन सा सिद्धान्त प्रभावी देखता है?

पौलुस को यह बोध होता है कि उसकी अन्तरात्मा परमेश्वर की व्यवस्था से प्रसन्न है परन्तु उसकी देह के अंग पाप के बन्दी बने हुए है।