उन्हें युद्ध में जाना नहीं है या किसी काम का भार उस पर डाले जाने कीआदेश नहीं दिया गया है, लेकिन वह वर्ष भर अपने घर में रहकर अपनी ब्याही हुई स्त्री को प्रसन्न करता रहे।