वृक्ष के ठूँठे को जड़ समेत भूमि में लोहे और पीतल के बन्धन से बाँधकर छोड़ना था। उसे ओस से भीगने दो। उसे पशुओं के संग भागी होने दो। सात साल तक उसका मन मनुष्य का न रहे परन्तु पशु का सा बन जाए।