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विश्वासियों को अपने परदेशी होने का समय भय में क्यों व्यतीत करन चाहिए ?

क्योंकि वे “ हे पिता” कहकर प्रार्थना करते हैं वह जो हर एक व्यक्ति के कामों के अनुसार बिना पक्षपात के न्याय करता है।