यिर्मयाह ने सरायाह से कहा कि जब वह बाबेल में पहुचे तो वह पुस्तक में लिखी सब वचन को पढ़ना है और जब इस पुस्तक को पढ़ ले तो इसे एक पत्थर के संग बाँधकर फरात महानद के बीच में फेंक देना।