वह चाहता था कि वहां उपस्थित लोग जिस समय नरसिंगे, बांसुरी, वीणा, सारंगी, सितार, शहनाई आदि साज़ों का शब्द सुनें तब उसी समय गिरकर उस सोने की मूर्ति को दण्डवत करें।