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जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुःख उठाते हैं उन्हे क्या करना चाहिए?

वे भलाई करते हुए अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के साथ में सौंप दें।