अन्य जातिया इन चुने हुए परदेशियों के विरुद्ध बोलते थे क्योंकि ये विश्वासी उनके समान व्यभिचार, लालसाओं, पियक्कड़पन, भोगविलास तथा घृणित मूर्तिपूजा में सहभागी नहीं होते थे।