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सेवकों के लिए क्यों आवश्यक था कि वे अपने स्वामियों के अधीन रहे, कुटिल स्वामियों के भी?
वे जो सेवक थे हर प्रकार के भय के साथ अपने स्वामियों के अधीन रहें, न केवल भले और नम्र के परन्तु कुटिल के भी क्योंकि यदि कोई परमेश्वर का विचार करके अन्याय से दुःख उठाता हुआ क्लेश सहता है तो यह परमेश्वर को भाता है।