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ये चुने हुए परदेशी जीवित पत्थर क्यों थे?

वे भी जीवित पत्थरों के समान आत्मिक घर बन रहे थे जिससे याजकों का पवित्र समाज बन कर कभी लज्जित न हो वरन् आदर पाएं।